कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती जारी रखने पर गुरुवार को आदेश सुरक्षित रख लिया। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से एक-एक सदस्य वाला पैनल हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करे।
क्या दिया रिपोर्ट में
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय को रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें उसने आठ अप्रैल से 12 अप्रैल के बीच अनियंत्रित भीड़ द्वारा की गई व्यापक हिंसा की घटनाओं का विवरण दिया है। राज्य सरकार ने उक्त रिपोर्ट में कहा कि पुलिस और प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद सुती, धुलियान, समसेरगंज और जंगीपुर में स्थिति अब नियंत्रण में है।
न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर के सभी थाना क्षेत्रों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर चार अप्रैल से प्रदर्शन शुरू किए गए थे। इसमें कहा गया कि शुरुआत में विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित प्रदर्शन शांतिपूर्ण और अहिंसक थे।
कैसे भड़की थी हिंसा
रिपोर्ट में कहा गया कि वक्फ अधिनियम के खिलाफ किए गए प्रदर्शन के दौरान लगभग 4,000 से 5,000 लोगों ने आठ अप्रैल को उमरपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे स्थिति अनियंत्रित हो गई थी। इसमें कहा गया, कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर ईंट-पत्थर फेंकना शुरू कर दिया तथा जान से मारने की नीयत से उन्होंने पुलिसकर्मियों पर लाठी, हसुआं, लोहे की छड़ों व घातक हथियारों से हमला भी किया। रिपोर्ट में कहा गया कि उपद्रवियों ने एसडीपीओ जंगीपुर की ग्लॉक पिस्तौल भी छीन ली, जिसमें 10 गोलियां भरी हुई थीं।
राज्य ने यह भी कहा कि कुछ प्रभावित परिवार पहले ही अपने घरों को लौट चुके हैं। जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की बेंच नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। केंद्र की ओर से पेश हुए वकील ने संवेदनशीलता को देखते हुए मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की तैनाती बढ़ाने की मांग रखी।
मीडिया खबरों के मुताबिक बंगाल पुलिस ने जाफराबाद में हिंसक प्रदर्शन के दौरान पिता-पुत्र की हत्या करने वाले मास्टरमाइंड में से एक को गिरफ्तार किया है। आरोपी इंजामुल हक को बुधवार देर रात जिले के सुती से गिरफ्तार किया गया।
शांति बहाली के निर्देश
अदालत ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एक-एक सदस्य वाली तीन सदस्यीय समिति को हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास और शांति बहाली की निगरानी के लिए जिले के प्रभावित इलाकों का दौरा करना चाहिए।
न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बम विस्फोट हुए थे। याचिका में हिंसा की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंपे जाने का अनुरोध किया गया है।
एक अन्य याचिकाकर्ता ने हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की उनके घरों में वापसी के लिए राज्य सरकार द्वारा कदम उठाए जाने का अनुरोध किया। केंद्र की ओर से पेश वकील ने अदालत के समक्ष अनुरोध किया कि मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की तैनाती को जिले की जमीनी स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए कुछ समय के लिए और बढ़ा दिया जाए।
मुर्शिदाबाद के उपद्रवग्रस्त सुती, शमसेरगंज-धुलियान इलाकों में फिलहाल केंद्रीय बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात हैं। उच्च न्यायालय ने शनिवार को शांति बहाली के लिए जिले में सीएपीएफ की तैनाती का आदेश दिया था।
अदालत के समक्ष अपनी दलील रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने एक रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि मुर्शिदाबाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि कुछ प्रभावित परिवार पहले ही अपने घर लौट चुके हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा से बचकर कई लोगों ने मालदा जिले के एक स्कूल में राहत शिविर में शरण ली है।
अदालत द्वारा एक साथ सुनवाई की जा रही चार रिट याचिकाओं में से कुछ याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कई परिवारों ने पड़ोसी मालदा जिले में शरण ली है और अनुरोध किया कि अदालत राज्य सरकार को निर्देश दे कि वह उन्हें उनके घरों में वापस भेजने और उनका पुनर्वास सुनिश्चित करे।
याचिकाकर्ताओं में से एक की वकील प्रियंका टिबरेवाल ने दावा किया कि कम से कम 90 परिवारों ने मालदा के एक स्कूल में शरण ली है और कहा कि एनएचआरसी ने पहले ही मुर्शिदाबाद हिंसा का संज्ञान ले लिया है।
अदालत के पूर्व के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि हिंसा प्रभावित जिले में स्थिति नियंत्रण में है और पुलिस ने व्यवस्था बहाल करने के लिए कार्रवाई की है।
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि हिंसा के सिलसिले में बुधवार मध्यरात्रि तक 270 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद के प्रभावित इलाकों में पर्याप्त संख्या में राज्य पुलिस, आरएएफ और सीएपीएफ के जवान तैनात किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि एक उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है और अफवाह फैलाने के लिए 1,050 से अधिक सोशल मीडिया हैंडल पर रोक लगा दी गई हैं। बनर्जी ने मुर्शिदाबाद में अनुच्छेद 355 लागू करने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद बनर्जी ने अपनी दलील के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता के वकील मुख्यमंत्री को हटवा कर अपने मुवक्किल अधिकारी को कुर्सी पर बिठा भी सकते हैं। इस पर अधिकारी के वकील बिलवादल भट्टाचार्य ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्होंने मुर्शिदाबाद में हिंसा की एनआईए जांच का अनुरोध करते हुए अपनी दलील में ऐसा कोई संकेत नहीं दिया था। भट्टाचार्य ने जांच एनआईए को सौंपने का अनुरोध करते हुए दावा किया कि हिंसा के दौरान बम विस्फोट की घटनाएं हुई हैं, इसलिए वैधानिक प्रावधान के अनुसार जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपना अनिवार्य है।
बनर्जी ने कहा कि दो मामलों को दर्ज करने में भारतीय विस्फोटक अधिनियम के प्रावधानों को शामिल किया गया है, जिससे जांच को स्थानांतरित करना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद में शमशेरगंज के जाफराबाद में शनिवार को पिता-पुत्र की हत्या के सिलसिले में 79 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें चाकू मारा गया था और घटना में बम का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार हिंसा में विस्थापित हुए प्रत्येक व्यक्ति का पुनर्वास करेगी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता उन लोगों के नामों की सूची प्रदान कर सकते हैं जिनके बारे में उनका दावा है कि वे अपने घरों से चले गए हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि फिलहाल किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को मुर्शिदाबाद आने की अनुमति न दी जाए।
अधिकारी ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें मुर्शिदाबाद जाने और प्रभावित लोगों से मिलने की अनुमति दी जाए। हालांकि, अदालत ने अभी तक इस अनुरोध पर सुनवाई नहीं की है, लेकिन कहा कि किसी को भी ऐसा कोई भड़काऊ भाषण नहीं देना चाहिए जिससे शांति व्यवस्था भंग हो।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने अनुरोध किया कि मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ की तैनाती जारी रखी जाए क्योंकि वहां और कुछ अन्य जिलों में भी स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। एनआईए की ओर से पेश वकील अरुण कुमार मोहंती ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक एजेंसी को मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा की घटनाओं की जांच करने का निर्देश नहीं दिया है। इनपुट भाषा Edited by: Sudhir Sharma