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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 6 मई 2025 (17:54 IST)

वॉर मॉक ड्रिल में क्या है हवाई हमले वाले सायरन बजाने के पीछे की मंशा, सायरन सुनते ही क्या करें?

वॉर मॉक ड्रिल में क्या है हवाई हमले वाले सायरन बजाने के पीछे की मंशा, सायरन सुनते ही क्या करें? - what to do when air raid sirens go off
what to do when air raid sirens go off: देश की सीमाओं पर तनाव जैसे ही बढ़ता है, तो सरकार और रक्षा तंत्र अपनी सुरक्षा को लेकर सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे समय में अक्सर हम एक शब्द सुनते हैं, "वॉर मॉक ड्रिल", जिसमें हवाई हमले का सायरन, बंकर में छिपना, लाइट्स बंद करना और अन्य रिहर्सल जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं। हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद जब से भारत-पाक संबंधों में हलचल बढ़ी, तब से कई तरह की प्रतिक्रियाएं और भारत की पाकिस्तान के खिलाफ प्लानिंग सामने आ रही है। 7 मई को देश के 244 जिलों में ये वॉर मॉक ड्रिल होगी। भारत में युद्ध के समय पहले भी इस प्रकार की वॉर मॉक ड्रिल्स की गईं हैं। लेकिन आम नागरिकों के मन में कई सवाल उठते हैं कि ये मॉक ड्रिल्स आखिर होती क्या हैं? इनका उद्देश्य क्या होता है? और जब सायरन बजता है तो हमें क्या करना चाहिए?
 
वॉर मॉक ड्रिल क्या होती है?
वॉर मॉक ड्रिल एक पूर्व नियोजित सुरक्षा अभ्यास होता है, जिसे किसी भी युद्ध या आपदा की स्थिति में नागरिकों और रक्षा तंत्र की तैयारियों को परखने के लिए आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य होता है लोगों को जागरूक करना, डर को दूर करना और सही वक्त पर सही प्रतिक्रिया देना सिखाना। इसमें सेना, पुलिस, NDRF, फायर ब्रिगेड, डॉक्टर्स और नागरिक प्रशासन की टीमें मिलकर काम करती हैं।
 
जब भारत और पाकिस्तान के बीच इस तरह की कूटनीतिक या सैन्य तनाव की स्थिति बनती है, तब सरकार युद्ध जैसी संभावनाओं को नकारते हुए भी सुरक्षा इंतजामों में कोई ढिलाई नहीं छोड़ती। सरहदी राज्यों जैसे पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और गुजरात में ये ड्रिल्स अक्सर होती हैं। इन ड्रिल्स से सेना यह आकलन करती है कि कोई भी आकस्मिक स्थिति आने पर देश कितना तैयार है, और आम नागरिक कितने सचेत हैं।
 
युद्ध वाले सायरन को कैसे पहचानें?
जब किसी इलाके में एयर स्ट्राइक की संभावना होती है, तब हवाई हमले का सायरन बजाया जाता है। मॉक ड्रिल के दौरान भी इसे अभ्यास के रूप में बजाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को चेतावनी देना होता है कि वे तुरंत सुरक्षित स्थान पर चले जाएं।यह सायरन आमतौर पर तीव्र आवाज़ वाला होता है और 2-3 मिनट तक बजता है। यह न केवल लोगों को सतर्क करता है, बल्कि उन्हें यह सिखाता है कि ऐसे समय में घबराने के बजाय कौन से स्टेप्स लेने हैं, जैसे कि बंकर में जाना, बिजली और गैस बंद करना, और सुरक्षित दूरी बनाना।
 
सायरन सुनते ही क्या करें? आम नागरिकों की जिम्मेदारी
जब सायरन बजे, तो सबसे जरूरी है शांति बनाए रखना और अफवाहों से दूर रहना। इसके अलावा नागरिकों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • तुरंत अपने आसपास के सुरक्षित स्थान (जैसे बंकर, बेसमेंट या कंक्रीट शेल्टर) में चले जाएं। 
  • बिजली और गैस कनेक्शन बंद कर दें। 
  • मोबाइल या ट्रांजिस्टर के ज़रिए सरकारी निर्देशों का पालन करें। 
  • सोशल मीडिया पर गलत जानकारी या फेक न्यूज ना फैलाएं, केवल आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें। 
  • बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को प्राथमिकता दें। 
  • कोई जरूरी दवाएं या फर्स्ट एड किट साथ रखें। 
  • अभ्यास के रूप में रिहर्सल को गंभीरता से लें, क्योंकि यही आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। 
क्या ये ड्रिल्स जरूरी हैं?
आज के जियोपॉलिटिकल माहौल में जब तकनीकी युद्ध, मिसाइल अटैक और साइबर अटैक जैसी स्थितियां हकीकत बन रही हैं, तब इस तरह की मॉक ड्रिल्स केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक आवश्यक तैयारी बन गई हैं। ये न केवल सरकार और सेना को एक्शन प्लान पर काम करने का मौका देती हैं, बल्कि आम नागरिकों को भी सुरक्षा का अभ्यास कराती हैं।  


डिस्क्लेमर: स्थानीय शासन और प्रशासन द्वारा पूर्व में जारी की गई गाइड लाइन का पालन करें। यह लेख सामान्य जानकारी हेतु  है।