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Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 5 मई 2025 (16:27 IST)

Waqf Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर अगले सीजेआई के नेतृत्व वाली पीठ करेगी सुनवाई, 15 मई को होगा विचार

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के नेतृत्व वाली पीठ 15 मई को विचार करेगी।

Waqf Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर अगले सीजेआई के नेतृत्व वाली पीठ करेगी सुनवाई, 15 मई को होगा विचार - Waqf Amendment Bill to be heard on May 15
Waqf Amendment Bill: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि वक्फ (Amendment) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के नेतृत्व वाली पीठ 15 मई को विचार करेगी। प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ जैसे ही सुनवाई के लिए बैठी, सीजेआई ने कहा कि कुछ ऐसे पहलू हैं, जिनसे आप (केंद्र) निपट चुके हैं, लेकिन उस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। मैं इस अंतरिम चरण में कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहता। इस मामले की सुनवाई यथोचित रूप से शीघ्र करनी होगी और यह मेरे समक्ष नहीं होगी।
 
न्यायमूर्ति खन्ना 13 मई को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त होने वाले हैं और उनकी सेवानिवृत्ति के एक दिन बाद न्यायमूर्ति गवई अगले सीजेआई के रूप में उनका स्थान लेंगे। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई की सेवानिवृत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि हम आपके (सीजेआई) सामने आकर इस मामले को उठाना पसंद करते, क्योंकि हर सवाल का जवाब होता है। हालांकि हम आपको परेशान नहीं कर सकते, क्योंकि समय नहीं है। विधि अधिकारी ने कहा कि माननीय न्यायाधीश को (सेवानिवृत्ति के बारे में) याद दिलाना कष्टदायक है। सीजेआई ने जवाब दिया कि नहीं-नहीं, मैं इसका इंतजार कर रहा हूं।ALSO READ: Lakhimpur Kheri violence : धमकी को लेकर गवाह को मिली पुलिस में शिकायत की अनुमति, उच्चतम न्यायालय ने दिया आदेश
 
इससे पहले केंद्र ने 17 अप्रैल को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई तक न तो वक्फ संपत्तियों को वक्फ बाय यूजर के रूप में चिह्नित करेगा, और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्तियां करेगा। केंद्र ने पीठ को यह आश्वासन देते हुए कहा कि संसद द्वारा उचित विचार-विमर्श के साथ पारित किए गए कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। 5 याचिकाओं को अब 'वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संबंध में’ शीर्षक दिया गया है और इनमें एआईएमआईएम प्रमुख एवं हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है।
 
केंद्र ने 25 अप्रैल को अपने हलफनामे में संशोधित अधिनियम को सही ठहराया और संसद द्वारा पारित कानून पर अदालत द्वारा किसी भी पूर्ण रोक का विरोध किया। वक्फ बाय यूजर संपत्तियों के प्रावधान को उचित ठहराते हुए इसने कहा कि किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न्यायिक आदेश द्वारा विधायी व्यवस्था का निर्माण करेगा।ALSO READ: राजनीतिक दलों के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जा सकता : उच्चतम न्यायालय
 
'वक्फ बाय यूजर’ से तात्पर्य ऐसी प्रथा से है जिसमें किसी संपत्ति को धार्मिक या धर्मार्थ बंदोबस्ती (वक्फ) के रूप में मान्यता उसके ऐसे प्रयोजनों के लिए दीर्घकालिक, निर्बाध उपयोग के आधार पर दी जाती है, भले ही मालिक द्वारा वक्फ की कोई औपचारिक और लिखित घोषणा न की गई हो। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने पिछले महीने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया था। विधेयक को लोकसभा ने 288 सदस्यों के समर्थन से मंजूरी दे दी जबकि 232 सांसद इसके विरोध में थे। राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 तथा विपक्ष में 95 सदस्यों ने मतदान किया था।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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