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Last Updated : सोमवार, 5 मई 2025 (16:01 IST)

इस गांव में आजादी के बाद पहली बार किसी स्‍टूडेंट ने पास की हाईस्कूल की परीक्षा

इस गांव में आजादी के बाद पहली बार किसी स्‍टूडेंट ने पास की हाईस्कूल की परीक्षा - For the first time after independence in this village, a student passed the high school examination
बाराबंकी। सुनने में यह भले ही अजीब लगे, लेकिन हकीकत है कि बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट स्थित एक गांव में आजादी के बाद 77 साल के इतिहास में पहली बार किसी छात्र ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है। जिला प्रशासन ने इस उपलब्धि के लिए छात्र को सम्मानित किया है।

जिला विद्यालय निरीक्षक ओ. पी. त्रिपाठी ने सोमवार को बताया कि रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के बनीकोंडर विकासखंड स्थित निजामपुर गांव में 15 वर्षीय छात्र रामकेवल ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की हाईस्कूल की परीक्षा में 55 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता हासिल की है। त्रिपाठी ने बताया कि यह कामयाबी इसलिए खास है क्योंकि वर्ष 1947 में आजादी के बाद से इस गांव में कोई भी छात्र हाईस्कूल की परीक्षा पास नहीं कर पाया था।

उन्होंने बताया कि रामकेवल ने हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण कर गांव के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है। त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बेहद पिछड़े करीब 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग सभी लोग दलित वर्ग के हैं।

अधिकारी ने बताया कि जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने गत तीन मई को रामकेवल और उसके माता-पिता को जिला मुख्यालय पर बुलाकर सम्मानित किया था। बता दें कि उसे बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक था लेकिन गरीबी के कारण उसे मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। उसने कहा कि वह मेहनत मजदूरी करके मिले पैसों से अपनी कॉपी-किताब खरीदता और स्कूल की फीस जमा करता था।

उसने बताया कि वह तीन भाइयों में सबसे बड़ा है लिहाजा परिवार के खर्च का बोझ भी उसे उठाना पड़ता है। वह शादियों के समय रात में बारात में लाइट उठाने का काम करता है और जब जब शादियों का सीजन नहीं होता तो वह अपने पिता के साथ जाकर मजदूरी करता है। रामकेवल ने कहा कि दिनभर के काम के बाद रात में वह अपने छप्पर के नीचे सोलर लाइट की रोशनी में पढ़ाई करता है और उसकी ख्वाहिश इंजीनियर बनने की है।

छात्र ने बताया कि उसे जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने सम्मानित किया और उसकी आगे की पढ़ाई की फीस माफ करने की घोषणा भी की। रामकेवल के पिता जगदीश मजदूरी करते हैं जबकि मां पुष्पा एक प्राथमिक विद्यालय में खाना बनाने का काम करती हैं। गांव के लोग रामकेवल की इस सफलता से बेहद खुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले वक्त में गांव के और भी बच्चे उसी के नक्शेकदम पर चलते हुए आगे बढ़ेंगे।
Edited By: Navin Rangiyal (भाषा)
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