how china sees india pakistan crisis post pahalgam attack: पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को हुए आतंकवादी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज कर दिया है। इस संकट में चीन की भूमिका और उसका दृष्टिकोण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति है और पाकिस्तान का लंबे समय से सहयोगी रहा है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी।
क्या है चीन का आधिकारिक रुख : चीन ने इस संकट में पाकिस्तान का स्पष्ट समर्थन किया है। 27 अप्रैल, 2025 को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार से फोन पर बातचीत में कहा कि चीन स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और एक निष्पक्ष जांच की वकालत करता है। चीन ने दोनों देशों से संयम बरतने और वार्ता के माध्यम से मतभेद सुलझाने का आग्रह किया, जो ट्रंप प्रशासन और यूरोपीय संघ के दृष्टिकोण से मेल खाता है, जो भारत को सैन्य कार्रवाई से बचने की सलाह देता है।
चीन का यह रुख क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने का प्रयास है, लेकिन यह भी माना जा रहा है कि यह पाकिस्तान के साथ उसके 'रणनीतिक साझेदारी' को मजबूत करने का हिस्सा है।
क्या कहते हैं चीन के मास्टर माइंड : चीनी विद्वान लिन मिनवांग के हालिया लेख से बीजिंग के अंतर्निहित दृष्टिकोण का पता चलता है। उनका तर्क है कि 2016 के उरी और 2019 के पुलवामा हमलों के विपरीत, इस बार भारत के पास सैन्य कार्रवाई का 'औचित्य" नहीं है, क्योंकि पहलगाम हमले में आम पर्यटकों को निशाना बनाया गया, जो सुरक्षा विफलता को दर्शाता है। लिन का मानना है कि पाकिस्तान को दोष देना भारतीय जनमानस की अपेक्षाओं के अनुरूप हो सकता है, लेकिन यह कश्मीर मुद्दे के मूल को छिपाता है, जो भारतीय कश्मीरियों का भारत के प्रति व्यापक और जटिल आक्रोश है।
लिन ने प्रधानमंत्री मोदी की सोशल मीडिया रणनीति की आलोचना की, जहां वह राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठकों की तस्वीरें साझा करते हैं और कहा कि यह जनता को प्रभावित करने और नैरेटिव बनाने की कोशिश है। उनका अनुमान है कि भारत छोटे पैमाने पर, कम तीव्रता वाली सैन्य कार्रवाई कर सकता है, जो घरेलू राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए हाई-प्रोफाइल होगी, लेकिन कोई भी बड़ी शक्ति पाकिस्तान के खिलाफ 'जानबूझकर दमन' का समर्थन नहीं करेगी।
लिन के लेख में एक छिपी हुई धमकी भी है: लिन ने उल्लेख किया कि भारत-नियंत्रित कश्मीर के पास 2020 से चीनी सैनिक तैनात हैं, जो क्षेत्र में संतुलन बना सकते हैं और शांति को बढ़ावा दे सकते हैं। अगर मामला हाथ से निकल जाता है, तो चीन अपने सैन्य सहयोगी की रक्षा के लिए कार्रवाई कर सकता है।
मुख्य बिंदु :
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चीन पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर पाकिस्तान का समर्थन करता है और संयम बरतने की सलाह देता है।
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यह संभावना है कि चीन भारत को सैन्य कार्रवाई से रोकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सैन्य हस्तक्षेप की संभावना कम है।
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चीन का रुख भारत के लिए दबाव बनाने और क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने की रणनीति हो सकता है।
क्षेत्रीय और रणनीतिक निहितार्थ : चीन का रुख कई स्तरों पर काम करता है। पहला, यह पाकिस्तान के साथ उसके आर्थिक और सैन्य संबंधों, विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को मजबूत करता है। दूसरा, यह भारत पर दबाव बनाने की कोशिश है, खासकर कश्मीर और सीमा विवादों को लेकर। तीसरा, चीन क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की रणनीति अपनाता है, जैसा कि चीनी सैनिकों की उपस्थिति के उल्लेख से स्पष्ट है।
चीन सरकार के हाल के रुख से तो लगता है कि चीन भारत के संयम की सराहना करता है, जहां उसने सैन्य एस्केलेशन से बचते हुए राजनयिक और आर्थिक उपकरणों का उपयोग किया है। भारत कोई सैन्य कार्रवाई करता है, तो चीन की तरफ से सैन्य हस्तक्षेप की संभावना नहीं है, इस समय चीन अपने स्वयं के रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए, जैसे कि आंतरिक स्थिरता और ट्रंप ट्रैरिफ से उपजे व्यापार तनावों का प्रबंधन करने में व्यस्त है।