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Last Updated : शनिवार, 3 मई 2025 (09:08 IST)

जानिए कौन हैं पाकिस्तानी शतरंज के बादशाह, वजीर और खास मोहरे

पाकिस्तान की सियासत और रणनीति शतरंज की एक ऐसी बिसात है, जहां हर चाल सोची-समझी और हर मोहरा महत्वपूर्ण है

Pakistan News
India Pakistan tension News: पाकिस्तान की सियासत और रणनीति शतरंज की एक ऐसी बिसात है, जहां हर चाल में रहस्य छिपा है, हर मोहरा एक कहानी कहता है और हर दांव दुनिया की नजरों को अपनी ओर खींचता है। खासकर जब भारत के साथ तनाव की बात आती है, तो यह बिसात और भी रोमांचक और रहस्यमयी हो उठती है। कौन है इस खेल का असली बादशाह? कौन चलाता है पर्दे के पीछे की चालें? और कौन है वह शक्ति, जो एक झटके में पूरे खेल को पलट सकती है? 
 
इस शतरंज के खेल में शामिल उन प्रमुख खिलाड़ियों और संस्थानों को जानें, जो पाकिस्तान की रणनीति को आकार देते हैं और जिनके कदम न केवल पड़ोसी देशों, बल्कि वैश्विक मंच पर भी गहरी छाप छोड़ते हैं।  ALSO READ: पहलगाम आतंकी हमले पर भारत की जवाबी कार्रवाई को पाकिस्तान सालों तक नहीं भूल पाएगा:मृगेन्द्र सिंह
 
सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर : बिसात के बादशाह
पाकिस्तान की थल सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर इस खेल के सबसे शक्तिशाली मोहरे हैं। सुरक्षा और विदेश नीति, खासकर भारत से जुड़े मामलों में उनकी भूमिका सर्वोपरि है। हाल ही में कश्मीर को लेकर उनके आक्रामक बयानों ने एक बार फिर सेना की पारंपरिक नीति को सामने ला दिया है। वह संदेश साफ है: भारत की किसी भी सैन्य कार्रवाई का जवाब देने के लिए पाकिस्तान की सेना तैयार है। 2019 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ सुलह की राह तलाशी थी, मगर मुनीर का रुख बिल्कुल उलट है। राजनीतिक उथल-पुथल और भीतरी चुनौतियों से घिरे मुनीर को अपनी ताकत दिखाने की सख्त जरूरत है। देश में उबलता असंतोष, आतंकी चुनौतियां और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था उनकी साख को दांव पर लगा रही है। उनकी हर चाल—चाहे सैन्य रणनीति हो या सियासी दखल दुनिया की नजरों में है। क्या वे इस जटिल बिसात पर अपनी बादशाहत कायम रख पाएंगे या कोई गुप्त चाल उन्हें मात दे देगी?  
 
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ : मजबूर वजीर
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ इस बिसात पर वजीर की भूमिका निभाते हैं, मगर उनकी चालें सेना के तारों से बंधी हैं। इमरान खान जेल की सलाखों के पीछे हैं, नवाज़ शरीफ़ सियासत के अंधेरे कोने में खो चुके हैं, और शहबाज़ पर देश को संकट की आग से निकालने की जिम्मेदारी है। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपात बैठकों से लेकर संयुक्त राष्ट्र में हस्तक्षेप की गुहार तक, शहबाज़ संयम की बात तो करते हैं, लेकिन देश का गुस्सा उन्हें उकसा रहा है: 'भारत को करारा जवाब दो!' सवाल यह है कि क्या शहबाज़ के पास अपनी मर्जी से चाल चलने की आजादी है? सेना की छाया में सत्ता संभाल रहे शहबाज़ के लिए यह सवाल हर कदम पर खड़ा होता है। क्या वे इस बिसात पर वजीर की तरह शान से खेल पाएंगे, या सिर्फ सेना के प्यादे बनकर रह जाएंगे? ALSO READ: India Pakistan War : पूरे देश में आक्रोश, आतंक के आकाओं का हो खात्मा, पहलगाम के बदले के लिए भारतीय सेना को मिली छूट
 
NCA और SPD: परमाणु तलवार वाला ऊंट
पाकिस्तान की परमाणु ताकत इस बिसात का सबसे खौफनाक मोहरा है— एक ऐसा ऊंट, जो अपनी तिरछी चाल से खेल को पलट सकता है। नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA), जिसके औपचारिक मुखिया शहबाज़ हैं और इसका तकनीकी सचिवालय स्ट्रैटजिक प्लान्स डिविजन (SPD), जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल यूसुफ जमाल करते हैं, जो कि इस तलवार को थामे हुए हैं। मगर असल नियंत्रण? वह सेना के हाथों में है। भारत के साथ तनाव में यह तलवार कब और कैसे चलेगी, यह सवाल पूरी दुनिया को बेचैन किए हुए है।    
 
muhammad asim malik
आईएसआई प्रमुख मोहम्मद आसिम मलिक : खुफिया चालों वाला घोड़ा
ISI के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक इस खेल का वह घोड़ा हैं, जो ढाई घर से छलांग लगाकर बिसात को हिलाकर रख देता है। उनकी खुफिया चालें न केवल भारत के खिलाफ रणनीति को आकार देती हैं, बल्कि आंतरिक सियासत और विदेश नीति को भी गुप्त रूप से नियंत्रित करती हैं। NSC और NCA में उनकी मौजूदगी उन्हें एक ऐसा मोहरा बनाती है, जो बिना दिखे खेल को पलट सकता है। लेकिन क्या उनकी गुप्त चालें इस बार भारत को मात दे पाएंगी, या उल्टा पाकिस्तान को जाल में फंसाएंगी?
 
मोहम्मद औरंगजेब : आर्थिक मोर्चे का सिपाही
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था इस बिसात की सबसे कमजोर कड़ी है। वित्त मंत्री औरंगजेब, जो कभी बैंकर थे, अब इस मोर्चे पर सिपाही की तरह डटे हैं। सैन्य तैयारियों के लिए पैसा जुटाना, अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं को मनाना और बाज़ारों को स्थिर रखना—उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ है। लेकिन क्या आर्थिक तंगी पाकिस्तान की सैन्य महत्वाकांक्षाओं के पंख कतर देगी?  
  
मोहम्मद इशाक डार : कूटनीति का प्यादा
विदेश मंत्री और उप-प्रधानमंत्री इशाक डार वैश्विक मंच पर पाकिस्तान का चेहरा हैं। भारत के नैरेटिव को चुनौती देना, चीन जैसे दोस्तों से समर्थन जुटाना और संयुक्त राष्ट्र में गुहार लगाना—उनकी कूटनीति का हर दांव सोचा-समझा है। लेकिन भारत के बढ़ते वैश्विक कद के सामने क्या यह प्यादा कोई बड़ा खेल खेल पाएगा?  
 
राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) : रणनीति का गुप्त हाथी
NSC इस शतरंज की बिसात का वह गुप्त हाथी है, जो अपनी ताकत से खेल को दिशा देता है। नागरिक और सैन्य नेतृत्व को एक मंच पर लाने वाली यह समिति कूटनीति, सैन्य रुख और खुफिया योजनाओं का ताना-बाना बुनती है। पहलगाम हमले के बाद NSC की गुपचुप बैठकें और उनके फैसले भारत के खिलाफ पाकिस्तान की रणनीति को नई धार दे रहे हैं। लेकिन आंतरिक अस्थिरता और बाहरी दबावों के तूफान में क्या यह हाथी स्थिर रह पाएगा, या खेल की दिशा बदल देगा?  
 
जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) : सैन्य चालों का अभेद्य किला
रावलपिंडी का GHQ वह अभेद्य किला है, जहां से पाकिस्तान की सैन्य चालें निकलती हैं। कोर कमांडर सम्मेलन, जिसकी कमान जनरल मुनीर के हाथ में है, भारत के खिलाफ रणनीति और नियंत्रण रेखा पर सैन्य तैनाती का खाका खींचता है। इस किले की दीवारों के भीतर लिए गए फैसले अक्सर नागरिक सरकार को भी बौना बना देते हैं। यह वह जगह है, जहां शतरंज की सबसे खतरनाक और निर्णायक चालें गढ़ी जाती हैं।  
 
चीन : बिसात का ग्रैंडमास्टर
इस शतरंज में चीन एक ऐसा खिलाड़ी भी है, जो पर्दे के पीछे से खेल को उलट-पुलट सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत और चीन के बीच गर्माहट बढ़ते ही पाकिस्तान का तनाव नई चुनौती बन सकता है। सर्वविदित तथ्य है कि पाकिस्तान पर अगर किसी का दबदबा है, तो वह चीन का है। लेकिन अगर चीन ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया, तो यह भारत-चीन रिश्तों के लिए करारा झटका होगा। क्या बीजिंग इस बिसात पर अपनी चाल चलेगा, या चुपके से खेल को नियंत्रित करेगा?  
 
चेकमेट या मात?
पाकिस्तान की इस रहस्यमयी शतरंज की बिसात पर हर मोहरा अपनी चाल चल रहा है। जनरल मुनीर की सैन्य ताकत, शहबाज़ की मजबूरी, ISI की गुप्त चालें, और चीन का छिपा दांव—सब मिलकर एक ऐसा खेल रच रहे हैं, जिसका हर पल सस्पेंस और रोमांच से भरा है। लेकिन सवाल वही है: क्या ये चालें पाकिस्तान को चेकमेट की जीत दिलाएंगी या फिर संकट की गहरी मात में धकेल देंगी?
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