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Last Updated : मंगलवार, 13 मई 2025 (19:21 IST)

बाजार से तुर्की के सेब गायब, पाकिस्‍तान से दोस्‍ती पड़ी महंगी, भारी गुस्‍से में भारतीय, सोशल मीडिया में बायकॉट तुर्की ट्रेंड

Turkey
भारत पाकिस्‍तान तनाव के बीच भारत में तुर्किए को लेकर भारी गुस्‍सा देखा जा रहा है। हालत यह है कि सोशल मीडिया में बायकॉट तुर्किए ट्रेंड कर रहा है। इतना ही नहीं, भारतीयों ने  कसम खाई है कि न तो तुर्किए के सेब खाएंगे और न ही वहां की यात्रा करेंगे। देखते ही देखते भारतीय बाजार से तुर्किए के सेब गायब होने लगे हैं।

दरअसल, तुर्किए ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से अपना रुख साफ कर दिया। इसका असर भारत में तुरंत देखने को मिला। कई ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म जैसे कि Ixigo और EaseMyTrip ने तुर्की के लिए फ्लाइट और होटल बुकिंग पर रोक लगा दी। इतना ही नहीं, भारतीय व्यापारियों ने भी तुर्की से आने वाले सेबों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। नतीजतन, तुर्की के सेब अब बाजार से लगभग गायब हो चुके हैं।

बॉयकॉट तुर्की हुआ ट्रेंड : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी बॉयकॉट तुर्की (BoycottTurkey) हैशटैग चल रहा है। इसमें लोग खुलकर अपनी बात कह रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि भारत ने तुर्की के मुश्किल वक्त में उसका साथ दिया था, लेकिन जब भारत के साथ खड़ा होने की जरूरत थी, तब तुर्की वहां नहीं था।
Turkey
ईरान, वॉशिंगटन, न्यूज़ीलैंड से आने लगे सेब : तुर्की के सेब न आने से अब ईरान से आने वाले सेबों की मांग बढ़ गई है। इससे 10 किलो सेब की थोक कीमतों में 200 से 300 रुपए तक का इजाफा हो गया है। वहीं, खुदरा बाजार में भी सेब 20 से 30 रुपए प्रति किलो महंगे हो गए हैं। भारतीय व्यापारी अब तुर्की के सेब की जगह ईरान, वॉशिंगटन और न्यूज़ीलैंड सेबों को तरजीह दे रहे हैं।

1200 करोड़ रुपए का है कारोबार : इस बहिष्कार का शहर के फल बाजार पर बड़ा असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि तुर्की से आयातित सेब आमतौर पर हर सीजन में 1,000 से 1,200 करोड़ रुपए तक का कारोबार करते हैं। व्यापारियों का कहना है कि यह कदम न केवल आर्थिक है, बल्कि देश की सेना और सरकार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए भी है। स्थानीय नागरिक भी इस मुहिम में खुलकर हिस्सा ले रहे हैं। एक निवासी ने कहा, हमारे पास सेब की कई किस्में हैं। ऐसे में उस देश से फल क्यों खरीदें, जो हमारे खिलाफ खड़ा हो? ऐसे में इस बहिष्कार से न सिर्फ तुर्की को आर्थिक झटका लगेगा, बल्कि स्थानीय और घरेलू उत्पादकों को भी नया बाजार मिलेगा।
Edited By: Navin Rangiyal
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