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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 19 अप्रैल 2025 (14:37 IST)

लाइफ केयर हॉस्पिटल में स्वस्थ प्राणियों और प्रकृति के लिए सस्टेनेबल फूड कार्यशाला

लाइफ केयर हॉस्पिटल में स्वस्थ प्राणियों और प्रकृति के लिए सस्टेनेबल फूड कार्यशाला - Workshop on Sustainable Food for Healthy Animals and Nature at Life Care Hospital
जिम्मी एंड जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने लाइफ केयर हॉस्पिटल में आज 'स्वस्थ प्राणियों और प्रकृति के लिए सस्टेनेबल फूड' पर कार्यशाला का आयोजन किया। मुख्य वक्ता डॉ. जनक पलटा मगिलिगन और जैविक सेतु के उदय भोले थे!ALSO READ: जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह के दूसरे दिन विकसित भारत के लिए सस्टेनेबल इंटर्नशिप सेमिनार

पद्मश्री से सम्मानित और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने आज लाइफ केयर हॉस्पिटल में जैविक भोजन उगाने और सस्टेनेबल खाना पकाने की विधियों और पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के साथ अपने 40 साल के अनुभव सुनाए : डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने बताया : 'जून 1, 1985 को चंडीगढ़ से बहाई पायनियर के सेवारत इंदौर आई थी। मैं जब चंडीगढ़ से आई तब मुझे आदिवासी शब्द का मतलब भी नहीं पता था। मेरे 10वीं पास करने के बाद भारत की पहली सफल ओपन हार्ट सर्जरी हुई तो उसके बाद मैंने आंखे खोलने से पहले यह कहा मुझे ईश्वर ने दूसरी जिंदगी दी हैं, यह जिंदगी ईश्वर का धन्यवाद करने में लगाना हैं।

भारत में जितने भी धार्मिक जगह हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की सभी जगह गई। मुझे साध्वी नहीं बनना था, दूसरे देश नहीं जाना था, पार्टी पॉलिटिक्स नहीं करना था, जाति, धर्म, महिला-पुरुष भेदभाव नहीं करना था। मुझे यह स्पष्ट था।
 
जब मैंने बहाई धर्म पढ़ा और समझा उसके बाद मुझे समझ आया कि सारे अवतार उस एक ही ईश्वर के भेजे हुए है। अगर वैज्ञानिक आध्यात्मिक नहीं होगा तो विनाश के साधन बनाएगा और अगर आध्यात्मिक होगा तो विकास के साधन बनाएगा।

स्त्री-पुरुष मानव के दो पंख है, दोनों जुड़े रहेंगे तभी मानव विकास होगा। मैंने अपनी अच्छी खासी नौकरी, अपना घर-परिवार छोड़ कर बहाई पायनियर के रूप में सेवा हेतु 1985 में एक प्रोजेक्ट के लिए इंदौर आई। जहां मुझे आदिवासी महिला ट्रेनिंग के लिए 6 एकड़ बंजर जमीन पर संस्थान बनाना था। 
 
अपने पति के साथ एक पुराने सूखे कुंए को पुनर्जीवित कर रेनवाटर सिस्टम से हराभरा किया, जिस पर 6-7 पेड़ थे, 26 साल बाद लगभग 900 पेड़, सोलर किचन, पानी संरक्षण की सुविधाओं के साथ पानी संरक्षण, मिट्टी संरक्षण, वृक्षारोपण कर संस्थान की प्रत्येक लड़की के साथ मिलकर सस्टेनेबल बरली संस्थान बनाया। सेवानिवृत्ति के बाद 2011 में दूसरी बार सनावदिया ग्राम में एक बंजर टेकरी को भूमि पुनर्स्थापित कर निवास स्थान बनाया।

जहां मैं सस्टेनेबल जीवन जी रही हूं और अपने पति जिम्मी मगिलिगन के निधन के बाद उनके नाम से जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की शुरुआत की। जिम्मी मगिलिगन जो कि पर्वतारोही और पर्यावरणविद थे, मैं वो सीता नहीं हूं, जो राम जी के साथ वनवास गई, मैं वो जनक हूं जिसके साथ मेरे पति जिम्मी ब्रिटेन से आकर मेरे साथ अंतिम सांस तक वनवासियों की सेवा कर के प्रभु को प्यारे हो गए। वो भारत की मिट्टी में रम गए। 
 
मै समस्त प्राणियो के साथ सद्भावना से जीते हुए अब विश्वस्तर सोचते हुए स्थानीय स्तर पर बिना किसी से आर्थिक सहायता से जैविक भोजन उगा कर, स्वयं सोलर कुकिंग, जीरो वेस्ट, रसायनमुक्त जीवन जी रही हूं। 15 साल से लाखों आदिवासी परिवारों को 19 स्ट्रीट लाइट निःशुल्क दे रही हूं, लाखों लोगो को पर्यावरण संरक्षण, सस्टेनेबल लिविंग सिखा चुकी हूं। हम अपनी धरती को और समस्त प्राणियों को छोटे-छोटे प्रयासों से स्वस्थ्य रख सकते है। 
 
मैंने गांव-गांव में जाकर उन ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के लिए काम किया जिन्हे धुएं, ईंधन और इनसे होने वाली समस्याओं से जूझना पड़ता था। ऐसी महिलाओं के लिए सौर ऊर्जा से संचालित इंस्टुमेंट बनाए। जिससे प्रकृति और स्वास्थ्य दोनो सुरक्षित हो सके।'
 
डॉ. पलटा ने यह प्रदर्शित किया कि सोलर थर्मल कुकर का उपयोग खाना पकाने में कितनी कुशलता से किया जा सकता है, जिसमें कुकीज़ जैसी चीज़ें भी बेक की जा सकती हैं।

उन्होंने सौर ऊर्जा से खाना पकाने के लाभों पर प्रकाश डाला-जैसे कि कार्बन उत्सर्जन में कमी, ईंधन की बचत, लागत में कमी और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देना। उन्होंने माइक्रोप्लास्टिक्स के हानिकारक प्रभावों पर भी चर्चा की, समझाया कि यह खाद्य और पानी के माध्यम से हमारे शरीर में कैसे प्रवेश करते हैं और किस प्रकार गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। डॉ. पलटा ने सभी से प्लास्टिक का उपयोग कम करने और पर्यावरण के अनुकूल आदतें अपनाने की अपील की। 
 
जैविक सेतु के उदय…भोले ने जैविक सेतु का उद्घाटन 6 दिसंबर को भारत सरकार की माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन मुख्य अतिथि के रूप में किया गया। यह अम्बरीश केला की अध्यक्षता वाले साइंटेक इको फाउंडेशन द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं, सेवाओं और स्थान से संभव हुआ है; इसमें अनुभवी जैविक खेती करने वाले श्री अरुण डिके की अध्यक्षता वाले प्रयोग परिवार, सस्टेनेबल फूड नेटवर्क इंदौर, जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट और मालवा क्षेत्र में जैविक खेती के अग्रदूत दिलीप सिंह तोमर, आनंद ठाकुर, जैविक कृषि वैज्ञानिक अजीत और रवि केलकर और जैविक खेती को बढ़ावा देने में रुचि रखने वाले कई समर्पित लोगों का सहयोग मिला है।

आज यहां सभी प्रकार के जैविक उत्पाद मिलते है, बहुत विश्वसनीय और प्रमाणित है भारत का एकमात्र ऐसा उदाहरण है! कार्यक्रम में जिम्मी के करीबी मित्र राकेश शिपिंग इंजिनियर राकेश दीक्षित ने जिम्मी के त्याग और समर्पण के लिए साधुवाद दिया।  
 
यह सत्र अत्यंत जानकारीपूर्ण और प्रेरणादायक रहा, जिसने सभी नर्सिंग कॉलेज के स्टाफ और उपस्थित लोगों को सतत और ज़िम्मेदार जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया। डॉ. पलटा ने डॉ. ब्रजबाला तिवारी के लाइफ केयर हॉस्पिटल की अच्छी स्वास्थ्य सेवा के साथ अस्पताल परिसर में की गई जैविक सब्जियां, फल और औषधीय पौधों की भी उपस्थिति को सराहा, जो पर्यावरण और मरीजों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी है। डॉ. सम्वेदना ने जनक दीदी और उदय भोले का भी बहुत धन्यवाद किया। ALSO READ: जिम्मी मगिलिगन की याद में सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह (15-21 अप्रैल, 2025 तक)
 
रिपोर्ट : डॉ. सम्वेदना (लाइफ केयर हॉस्पिटल)
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