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Last Updated : बुधवार, 16 अप्रैल 2025 (14:20 IST)

क्या है नेशनल हेराल्ड केस जिसमें सोनिया और राहुल गांधी पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार?

क्या है नेशनल हेराल्ड केस जिसमें सोनिया और राहुल गांधी पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार? - What is the National Herald case in which the sword of arrest is hanging over Sonia and Rahul Gandhi?
नेशनल हेराल्ड केस में अब गांधी परिवार पर शिकंजा कसता हुआ दिख रहा है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ ईडी ने चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने कोर्ट में जो चार्जशीट दाखिल की है उस पर 25 अप्रैल को कोर्ट में सुनवाई होगी। जमानत न मिलने की स्थिति में सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी समेत अन्य आरोपियों पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है। वहीं ईडी की चार्जशीट में सोनिया और राहुल का नाम आने के बाद आज पूरे देश में कांग्रेस विरोध प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता सडक पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। कांग्रेस का आरोप है कि यह कार्रवाई बदले की भावना से प्रेरित है और केंद्र सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।

सोनिया और राहुल पर गिरफ्तारी की तलवार?- नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ईडी की चार्जशीट में दावा किया गया है कि कांग्रेस नेताओं ने इसकी मूल कंपनी एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पने के लिए आपराधिक साजिश रची थी और इसके लिए उन्होंने 99 प्रतिशत शेयर महज 50 लाख रुपये में अपनी उस निजी कंपनी यंग इंडियन’ को ट्रांसफर कर दिए, इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सबसे अधिक शेयर हैं। ऐसे में अब अगर कोर्ट से राहुल और सोनिया को जमानत नहीं मिलती है तो उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

कांग्रेस के सीनियर नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा  कि “पुरानी कहावत है कि आग में तपकर सोना कुंदन बन जाता है। नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा जिस प्रतिशोध की आग में गांधी परिवार को झुलसाना चाहती है, वहाँ से उनकी छवि और निखर कर जनता के बीच सामने आएगी। नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कई कांग्रेस नेताओं पर ED चार्जशीट दाख़िल कर भाजपा सरकार ने अपनी हताशा का प्रदर्शन किया है। भाजपा की कोशिश है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की आवाज़ दबा कर भारत की जनता की आवाज़ दबा दी जाए। इसलिए जानबूझकर एक ऐसे मामले को उठाया जा रहा है, जिसमें कोई दम ही नहीं है”।

कमलनाथ ने आगे लिखा कि “यह एक खुला राजनीतिक षडयंत्र है जिससे गांधी परिवार की छवि ख़राब करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अत्याचार करने वालों को याद रखना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार की घुटने टेकने की आदत नहीं है। इंदिरा गांधी को भी तानाशाही तरीक़े से जेल में डाला गया था, लेकिन वह झुकी नहीं। स्वर्गीय राजीव गांधी के ख़िलाफ़ भी दुष्प्रचार का अभियान चलाया गया लेकिन अंत में बेदाग़ साबित हुए। नेशनल हेराल्ड मामले में इसी तरह सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेता बेदाग़ साबित होंगे”।

क्या हैं नेशनल हेराल्ड केस?-नेशनल हेराल्ड जिसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड करती थी उसकी स्थापना जवाहलाल नेहरू ने 1937 में की थी। नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का मुख्य पत्र माना जाता था। आजादी की लड़ाई में राष्ट्रवादी समाचार पत्र के रुप में जाना पहचाने जाने वाला नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन 2008 में आर्थिक तंगी के कारण बंद कर दिया गया। नेशनल हेराल्ड का संचालन करने वाली कर्ज में डूबी एजेएल कंपनी ने 2010 में यह घोषणा कर दी कि वह कर्ज नहीं चुका सकती।

23 नंवबर 2010 को गांधी परिवार की एक नान-प्राफिट कंपनी यंग इंडियन सामने आई, जिसके निदेशक सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग बने। 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को भी निदेशकों के बोर्ड में शामिल किया गया। इसके बाद एजेएल के शेयर एक डील कर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए गए और 90 करोड़ का कर्ज 50 लाख लेकर माफ कर दिया गया। 22 जनवरी 2011 को सोनिया गांधी में इसकी निदेशक बन गई। यंग इंडियन की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी सोनिया-राहुल के पास है। दरअसल एजेएल को आर्थिक तंगी के कारण कांग्रेस पार्टी ने समय-समय पर 90 करोड़ रुपये उधार दिए थे। जबकि यह द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्‍ट 1950 का उल्लंघन है। इसके मुताबिक कोई राजनीतिक पार्टी किसी को कर्ज नहीं दे सकती।

साल 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। आरोप लगाया गया कि कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का अवैध अधिग्रहण कर लिया।

सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था। स्वामी ने 2000 करोड़ रुपए की कंपनी को केवल 50 लाख रुपए में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी। जून 2014 ने कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में एक्शन लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी।

सोनिया-राहुल की चार्जशीट पर कांग्रेस आगबबूला-नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल के खिलाफ चार्जशीट के बाद कांग्रेस आगबूबला है। आज दिल्ली समेत देश के विभिन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रही है। दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी दफ्तर 24 अकबर रोड पर ईडी और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत विभिन्न जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवार ने कहा कि यह घटना सोनिया गांधी, विपक्ष के नेताओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नफरत फैलाकर देश को भ्रमित कर रही है, कांग्रेस पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि वह पूरे देश में आंदोलन करेगी।

वहीं कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर भाजपा ने पलटवार  किया है। मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने  कहा  कि  कांग्रेस भ्रष्टाचार को बचाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को ईमानदारी से काम करने की छूट दी है। कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन से न ईडी दबाव आएगी और न दबाव में आना चाही। वीडी शर्मा ने सोनिया और राहुल गांधी से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या कानून के अनुसार जांच एजेंसियों को काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोनिया और राहुल को इस पूरे मामले में सामने आकर अपना पक्ष रखना चाहिए।
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