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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025 (01:09 IST)

क्‍या है अनुच्‍छेद 142, जिसे लेकर उपराष्‍ट्रपति धनखड़ ने उठाए सवाल

Jagdeep Dhankhar
Vice President Jagdeep Dhankhar News : उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्‍यायपालिका को लेकर बड़ा बयान दिया है और इसको लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले उच्‍चतम न्‍यायालय के ऐतिहासिक फैसले के कुछ दिनों बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते, जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को मिला विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। आइए, जानते हैं आखिर क्‍या संविधान का अनुच्‍छेद 142, जिसको लेकर उपराष्‍ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के जजों पर भड़क उठे।

खबरों के अनुसार, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय लिए जाने के वास्ते समयसीमा निर्धारित करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले पर शुक्रवार को चिंता जताई और कहा कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम स्वयं संभालेंगे और एक ‘सुपर संसद' के रूप में कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को मिला विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ चौबीसों घंटे उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। जज सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के कुछ दिनों बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। 
 
धनखड़ ने कहा, हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। धनखड़ ने कहा कि भारत में राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है और राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण एवं बचाव की शपथ लेते हैं, जबकि मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसदों और न्यायाधीशों सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं।
क्‍या है अनुच्छेद 142 : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 एक ऐसा प्रावधान है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं। इस अनुच्छेद के जरिए जिन मामलों में अभी तक कोई कानून नहीं बना है, उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है। हालांकि यह फैसला संविधान का उल्लंघन करने वाला न हो।
 
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, हाल ही में जजों ने राष्ट्रपति को लगभग आदेश दे दिया और उसे कानून की तरह माना गया, जबकि वे संविधान की ताकत को भूल गए। अनुच्छेद 142 अब लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ एक ‘न्यूक्लियर मिसाइल' बन गया है, जो चौबीसों घंटे न्यायपालिका के पास उपलब्ध है।
 
आसान शब्दों में कहें तो यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिकार देता है। यह न्यायालय को कानून के अनुसार ऐसा कोई भी आदेश देने की अनुमति देता है, जो न्याय के हित में हो। यह अनुच्छेद न्यायालय को विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है। अनुच्छेद 142 को कानूनी उपायों की अनुपस्थिति में निर्णायक रूप से कार्य करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट इन ऐतिहासिक मामलों में कर चुकी है फैसले इस प्रावधान का उपयोग विभिन्न ऐतिहासिक मामलों में किया जा चुका है। जिसमें 30 जनवरी 2024 को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजों को पलटना और ऐतिहासिक बाबरी-राम जन्मभूमि का फैसला शामिल है, जिसमें न्यायालय ने पूर्ण न्याय प्राप्त करने के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था।
Edited By : Chetan Gour
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