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Last Updated : सोमवार, 28 अप्रैल 2025 (19:26 IST)

पहलगाम का बदला, मई में हो सकता है भारत-पाकिस्तान युद्ध? सैन्य कार्रवाई की जमीन तैयार कर रही है मोदी सरकार

भारत ने कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है

पहलगाम का बदला, मई में हो सकता है भारत-पाकिस्तान युद्ध? सैन्य कार्रवाई की जमीन तैयार कर रही है मोदी सरकार - Revenge for Pahalgam, could India Pakistan war happen in May
India Pakistan war may happen in May: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और गंभीर मोड़ पर ला खड़ा किया है। इस हमले में 26 लोगों की मौत और कई अन्य के घायल होने की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले के बाद कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था- 'आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसी सजा दी जाएगी, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।'

इस बयान के साथ ही भारत ने कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी बॉर्डर बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है। ये कदम न केवल पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सैन्य कार्रवाई के लिए आधार तैयार करने का संकेत भी दे रहे हैं। ALSO READ: पहलगाम हमले को लेकर खालिस्तानी आतंकी पन्नू की भारत को धमकी, कहा- हम पाकिस्तान के साथ हैं
 
पहलगाम हमले के बाद भारत की रणनीति : पहलगाम हमले के बाद भारत ने तेजी से कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कार्रवाई शुरू की। कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की आपात बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए, जिनमें शामिल हैं:  
 
सिंधु जल संधि का निलंबन : यह संधि पाकिस्तान की जल आपूर्ति और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। इसका निलंबन पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बढ़ाएगा।  
 
अटारी बॉर्डर बंद : इससे दोनों देशों के बीच सीमित व्यापार और आवाजाही प्रभावित होगी।  
 
पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द : भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया गया।  
 
उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या में कटौती : दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की गई।  
 
पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों को निष्कासित करना : नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा सलाहकारों को 'अवांछित व्यक्ति' घोषित किया गया।  
 
इन कदमों के साथ ही भारत ने वैश्विक समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल, इटली, जॉर्डन और मॉरीशस जैसे देशों के नेताओं से बात की, जिन्होंने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता जताई। विदेश मंत्रालय ने 100 से अधिक देशों के राजनयिकों को ब्रीफिंग दी, जिसमें पाकिस्तान के आतंकवाद को प्रायोजित करने के 'पैटर्न' का उल्लेख किया गया। ALSO READ: पहलगाम हमले पर पीएम मोदी बोले, हर भारतीय का खून खौल रहा है, पीड़ितों को न्याय मिलेगा
 
2019 की गूंज और नई रणनीति : पहलगाम हमले ने 2019 के पुलवामा हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक की यादें ताजा कर दी हैं। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज़ के सीनियर फेलो डैनियल मार्की के अनुसार, 2019 का टकराव एक आतंकी हमले से शुरू हुआ था, जिसमें दर्जनों भारतीय सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। उस समय ट्रम्प प्रशासन ने शुरू में भारत का समर्थन किया, लेकिन बालाकोट में भारत के सीमा पार हवाई हमले के बाद ही संयम के लिए राजनयिक दबाव बढ़ाया।

उस हमले की क्षति को लेकर विवाद रहा और पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई ने दोनों देशों को हवाई झड़प तक ले गया। इस दौरान एक भारतीय जेट को मार गिराया गया और पायलट को बंदी बना लिया गया। मार्की का कहना है कि उस 'असफल प्रतिक्रिया' की भरपाई के लिए भारत इस बार 'कुछ शानदार' करने की इच्छा दिखा रहा है। पाकिस्तान ने भी भारत के किसी भी हमले का मुकाबला करने और उससे आगे जाने की कसम खाई है। मार्की चेतावनी देते हैं कि 'यह बदले की कार्रवाई का चक्र तेजी से अनियंत्रित हो सकता है।' ALSO READ: पहलगाम हमले पर CM योगी की चेतावनी, बोले- यह नया भारत है, छेड़ा तो छोड़ेंगे नहीं...
 
क्या भारत सैन्य कार्रवाई की ओर बढ़ रहा है? : भारत की सैन्य तैयारियों के संकेत साफ हैं। भारतीय वायुसेना ने सेंट्रल थिएटर में जमीनी हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध अभ्यास शुरू किया है, और सीमा पर लेवल 4 की सतर्कता लागू की गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ 150 मिनट की हाई-लेवल बैठक की, जिसमें थल, जल, और वायु विकल्पों पर चर्चा हुई। खुफिया जानकारी के अनुसार, PoK में 42 आतंकी लॉन्च पैड सक्रिय हैं, जिनमें 110-130 आतंकी मौजूद हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत PoK पर सर्जिकल स्ट्राइक या सीमित सैन्य कार्रवाई पर विचार कर सकता है।
 
ब्रिटिश पत्रिका द इकॉनमिस्ट के डिफेंस एडिटर शशांक जोशी ने अनुमान लगाया है कि मई 2025 के अंत तक भारत 60% संभावना के साथ सैन्य कार्रवाई कर सकता है। हालांकि, भारत ने अभी तक हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने के लिए ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किए हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत को और समय चाहिए, जबकि अन्य का कहना है कि वैश्विक अराजकता के इस दौर में भारत को अपनी कार्रवाई के लिए किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं महसूस हो रही। 
 
वैश्विक प्रतिक्रिया और मध्यस्थता की कोशिशें : पहलगाम हमले ने वैश्विक समुदाय का ध्यान खींचा है। ईरान और सऊदी अरब ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, जबकि ईरान के विदेश मंत्री ने मध्यस्थता की पेशकश की। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी संवाद की वकालत की है। हालांकि, अमेरिका जैसे प्रमुख देश अन्य वैश्विक संकटों में उलझे हैं, और ट्रम्प प्रशासन ने अभी तक भारत के लिए राजदूत नियुक्त नहीं किया है, जो दक्षिण एशिया में उसकी प्राथमिकताओं को दर्शाता है। ट्रम्प ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन किया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वॉशिंगटन इस टकराव में कितना हस्तक्षेप करेगा। 
 
जोखिम और संभावनाएं : भारत और पाकिस्तान, दोनों परमाणु हथियारों से लैस देश हैं। सैन्य टकराव के परिणाम क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए घातक हो सकते हैं। भारत की आक्रामक कूटनीति और सैन्य तैयारियां एक ओर तो पाकिस्तान को सबक सिखाने की मंशा दिखाती हैं, वहीं दूसरी ओर यह सवाल उठता है कि क्या केवल पिछले पैटर्न के आधार पर युद्ध उचित है।
 
भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन का मानना है कि दोनों देश 'प्रबंधित शत्रुता' की स्थिति में सहज हैं और इस टकराव के अनियंत्रित होने की संभावना कम है। हालांकि, 2019 के बालाकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच हवाई झड़प और पायलट की गिरफ्तारी ने दिखाया कि ऐसी कार्रवाइयां अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकती हैं।
 
पहलगाम हमला भारत-पाकिस्तान तनाव का एक नया अध्याय है। भारत की कूटनीतिक और सैन्य तैयारियां यह संकेत देती हैं कि वह आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के लिए तैयार है। हालांकि, सबूतों की कमी और परमाणु जोखिम इस स्थिति को जटिल बनाते हैं। वैश्विक समुदाय की नजर इस क्षेत्र पर टिकी है, लेकिन भारत अपनी रणनीति को वैश्विक दबाव से प्रभावित होने देने के मूड में नहीं दिखता। आने वाले हफ्ते यह तय करेंगे कि क्या यह तनाव कूटनीतिक स्तर पर सुलझेगा या दोनों देश एक बार फिर युद्ध के कगार पर पहुंच जाएंगे।
 
भारत-पाकिस्तान तनाव की ऐतिहासिक समयरेखा
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की जड़ें 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन और दोनों देशों के स्वतंत्र होने के समय से जुड़ी हैं। कश्मीर विवाद और सीमा पार आतंकवाद इस तनाव का प्रमुख कारण रहा है। नीचे कुछ प्रमुख घटनाओं की समयरेखा दी गई है, जो इस तनाव को समझने में मदद करती है: