न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने संकेत दिया कि यह निजता के उल्लंघन की व्यक्तिगत आशंकाओं पर गौर कर सकती है लेकिन तकनीकी समिति की रिपोर्ट कोई ऐसा दस्तावेज नहीं है जिस पर सड़कों पर चर्चा की जा सके।
पीठ ने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट को नहीं छुआ जाएगा लेकिन जो व्यक्ति यह जानना चाहते हैं कि वे इसमें शामिल हैं या नहीं, उन्हें सूचित किया जा सकता है। हां, व्यक्तिगत आशंकाओं से निपटा जाना चाहिए लेकिन इसे सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता।
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने कहा कि सवाल यह है कि क्या सरकार के पास स्पाइवेयर है और क्या उसने इसका इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि अगर उनके पास यह है, तो उन्हें आज भी इसका लगातार इस्तेमाल करने से कोई नहीं रोक सकता।
पीठ ने कहा कि कृपया व्यक्तियों के बारे में खुलासे के संबंध में अभ्यावदेन दें। आजकल हम जिस तरह के परिदृश्य में हैं, हमें थोड़ा जिम्मेदार होना चाहिए... हम देखेंगे कि रिपोर्ट किस हद तक साझा की जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर देश आतंकवादियों के खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें गलत क्या है? स्पाइवेयर का होना गलत नहीं है, सवाल यह है कि आप इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ कर रहे हैं। आप देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं कर सकते। निजी नागरिक, जिसके पास निजता का अधिकार है, उसे संविधान के तहत संरक्षण दिया जाएगा।
पत्रकार प्रांजॉय गुहा ठाकुरता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एक अमेरिकी जिला अदालत के फैसले का जिक्र किया। सिब्बल ने कहा कि व्हाट्सऐप ने खुद ही यहां खुलासा किया है। किसी तीसरे पक्ष ने नहीं। व्हाट्सऐप ने हैकिंग के बारे में कहा है। उस समय माननीय न्यायाधीशों ने यह संकेत नहीं दिया था कि हैकिंग हुई थी या नहीं। यहां तक कि विशेषज्ञों ने भी ऐसा नहीं कहा था। अब आपके पास सबूत हैं। व्हाट्सऐप द्वारा मुहैया कराए गए सबूत। हम निर्णय उपलब्ध कराएंगे। संपादित भाग संबंधित व्यक्तियों को दिया जाना चाहिए ताकि वे जान सकें।
हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई ऐसी जांच नहीं की जानी चाहिए जो किसी विशिष्ट आरोप या साक्ष्य के आधार पर नहीं बल्कि केवल जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाए। आतंकवादियों के खिलाफ स्पाइवेयर का इस्तेमाल करने में कुछ भी गलत नहीं है और उन्हें निजता का अधिकार नहीं मिल सकता।
एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट को बिना किसी संशोधन के सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की।
पेगासस के अनधिकृत उपयोग की जांच के लिए शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त तकनीकी पैनल को 25 अगस्त 2022 को 29 में से पांच सेल फोन में कुछ मैलवेयर मिले थे लेकिन यह पता नहीं लगाया जा सका थ कि इजराइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं।
शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवींद्रन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर गौर करने के बाद न्यायालय ने कहा था कि केंद्र सरकार ने पेगासस जांच में सहयोग नहीं किया। शीर्ष अदालत ने 2021 में नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की लक्षित निगरानी के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा इजराइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की जांच का आदेश दिया था और मामले की जांच के लिए तकनीकी एवं पर्यवेक्षी समितियों की नियुक्ति की थी। (भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta