Pahalgam Terrorist Attack : पहलगाम, एक ऐसा नाम जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल ही में यह आतंकी हमले की वजह से सुर्खियों में आया। इस हमले में जहां आतंकवादियों ने मासूमों को निशाना बनाया, वहीं दो साधारण लोग, सैयद आदिल हुसैन शाह और नजाकत अली, इंसानियत और साहस की ऐसी मिसाल बने, जो हर किसी के लिए प्रेरणा है। जब सोशल मीडिया और मीडिया आतंकवाद को धर्म से जोड़ने में व्यस्त थी, तब इन दोनों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जिंदगी बचाने का जज्बा दिखाया।
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सैयद आदिल हुसैन शाह, आतंकियों से अकेले भिड़ा मजदूर : सैयद आदिल हुसैन शाह, एक साधारण मजदूर, जो पहलगाम में पर्यटकों को घोड़े पर लादकर उनकी यात्रा को यादगार बनाता था। लेकिन उस दिन, जब आतंकियों ने पहलगाम में हमला किया, आदिल ने अपनी जान की परवाह न करते हुए पर्यटकों को बचाने के लिए आतंकियों से अकेले भिड़ने का फैसला किया। वे आतंकियों से बंदूक छीनने की कोशिश में जुट गए, लेकिन इस दौरान उन्हें गोली मार दी गई। आदिल की शहादत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया।
आदिल के पिता सैयद हैदर शाह ने एएनआई को बताया, “मेरा बेटा काम के लिए पहलगाम गया था। दोपहर करीब 3 बजे हमें हमले की खबर मिली। हमने उसे फोन किया, लेकिन उसका फोन बंद था। शाम 4:40 बजे फोन चालू हुआ, पर कोई जवाब नहीं मिला। पुलिस स्टेशन पहुंचने पर पता चला कि उसे गोली लगी है।” आदिल का परिवार सदमे में है। उनकी मां को न केवल बेटे की मौत का गम है, बल्कि यह चिंता भी सता रही है कि अब परिवार का गुजारा कैसे होगा। आदिल ही घर में कमाने वाले इकलौते व्यक्ति थे।
नजाकत अली 11 जिंदगियों का फरिश्ता ; सैयद आदिल की तरह ही नजाकत अली ने भी इस हमले के दौरान अपनी सूझबूझ और साहस से 11 लोगों की जान बचाई। पत्रकार कृष्ण कांत ने अपने एक्स पोस्ट में बताया कि छत्तीसगढ़ के 11 पर्यटक पहलगाम में छुट्टियां मना रहे थे। जब आतंकी हमला हुआ और लोग इधर-उधर भागने लगे, तब कपड़ा व्यापारी नजाकत अली ने इन लोगों को सुरक्षित निकालने का बीड़ा उठाया। नजाकत ने अपनी सूझबूझ से कुलदीप स्थापक, शिवांश जैन, हैप्पी बधावान, अरविंद अग्रवाल और उनके परिवारों को सुरक्षित होटल तक पहुंचाया।
नजाकत अली छत्तीसगढ़ में कपड़ा बेचने का काम करते हैं और इन पर्यटकों से परिचित थे। हमले के समय वे साथ में ही घूम रहे थे। उनकी त्वरित सोच और साहस ने न केवल इन 11 लोगों की जान बचाई, बल्कि यह भी दिखाया कि मुश्किल हालात में इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। अब ये सभी पर्यटक सुरक्षित छत्तीसगढ़ लौट चुके हैं और नजाकत के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं।
आतंक के खिलाफ इंसानियत की जीत: सैयद आदिल हुसैन और नजाकत अली की कहानी हमें सिखाती है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और न ही साहस और इंसानियत का कोई मजहब। एक तरफ आदिल ने अपनी जान देकर पर्यटकों को बचाया, तो दूसरी तरफ नजाकत ने अपनी सूझबूझ से 11 जिंदगियों को नया जीवन दिया। ये दोनों साधारण लोग असाधारण साहस की मिसाल हैं।
लेकिन यह घटना कुछ सवाल भी छोड़ जाती है। क्या आदिल के परिवार को वह सम्मान और सहायता मिल पाएगी, जिसका वे हकदार हैं? क्या नजाकत जैसे लोगों को समाज में वह पहचान मिलेगी, जो उनके साहस के लिए जरूरी है? और सबसे बड़ा सवाल, क्या हमारा समाज आतंकवाद को धर्म से जोड़ने की बजाय इंसानियत को बढ़ावा देगा? इन सवालों का जवाब समय ही देगा, लेकिन सैयद आदिल और नजाकत की कहानी हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
edited by : Nrapendra Gupta