चाल-चरित्र का दंभ भरने वाली भाजपा ने क्यों नहीं विधायक गोलू शुक्ला के बेटे पर लिया एक्शन?
चाल-चरित्र और चेहरा की दुहाई देने वाली मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं औ नेता पुत्रों पर सत्ता का नशा किस कदर हावी है, इस बात को पिछले दिनों देवास में माता चामुंडा देवी के दर पर घटी घटना से आसानी से समझा जा सकता है। इससे सत्ता का नशा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे कि आधी रात को इंदौर के भाजपा विधायक गोलू शुक्ला के सहाबजादे रुद्राक्ष शुक्ला अपने साथियों के साथ गाड़ियों के काफिले के साथ देवास के माता टेकर मंदिर पहुंचता है और आधी रात को मां चामुंडा के पट खोलने के लिए पुजारी को धमकी देता और नहीं खोलने पर पुजारियों से मारपीट और बदसलूकी करता है। सत्ता के दंभ में चूर भाजपा विधायक के बेटे न केवल पुजारियों से मारपीट की ब्लकि उसे धमकी भी दी। मंदिर के पुजारियों ने धार्मिक कारणों का हवाला देकर पट खोलने से इंकार कर दिया और बाद में विधायक पुत्र की इस करतूत की शिकायत पुलिस से भी की।
चाल-चरित्र का अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली पार्टी भी जागी तब विधायक पुत्र की दबंगई की चारों और थू-थू होने लगी। सोशल मीडिया पर लोग पार्टी के साथ विधायक और उसके बेटे के खिलाफ जमकर भड़ास निकालने लगे। भोपाल से दिल्ली तक पार्टी के जिम्मेदारों से सवाल पूछने जाने लगे। तब हरकत में आई पार्टी संगठन के कर्ता-धर्ता ने इंदौर स्थित भाजपा दफ्तर में विधायक गोलू शुक्ला को तलब किया और उन्हें पार्टी आलाकमान की नाराजगी से अवगत कराते हुए पूरे मुद्दें पर माफी मांगकर पूरा मामले के पटाक्षेप करने के निर्देश दिए। इसे बेशर्मी नहीं तो और क्या कहेंगे कि विधायक के बेटे ने हसंते हुए अपनी कारगुजारी पर माफी मांगी और माफीनामा के फोटो औऱ वीडियो भी जारी किए गए।
ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में पहली बार नेता पुत्रों की इस तरह की हरकत सामने आई है। इससे पहले इंदौर के ही दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय का बल्ला कांड भी खूब सुर्खियों में रहा था, हलांकि उस पूरे मामले में आकाश विजयवर्गीय को कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई है। वहीं पिछले दिनों इंदौर में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद महाजन के शोरूम में तोड़फोड़ के मामले में दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री प्रताप करोसिया के भतीजे पर भी केस दर्ज हुआ था।
केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के नेता पुत्र आखिर क्यों सत्ता के नशे में चूर हो इसके पीछे एक नहीं कई कई कारण है। दरअसल जब भी किसी नेता पुत्र की इस तरह की कारगुजारी सामने आती है, संगठन से लेकर सरकार और प्रशासन उस पूरे मामले में लीपापोती में जुट जाता है और आनन-फानन में पूरे मामले को ठंडा करने के लिए पीड़ित पक्ष पर दबाव बना दिया जाता। सूबे में करीब दो दशक से सत्तारूढ़ दल ने आज तक इस तरह की घटनाओं पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की, जो आने वाले समय के लिए नजीर बन सके और नेता पुत्र ऐसा करने का दुस्साहस नहीं कर सके।