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Last Modified: मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 (13:28 IST)

मेरे पास पैसा मांगने मत आना, मंत्री प्रहलाद पटेल की सरपंच-सचिवों को समझाइश

स्टॉप डैम अगर ईमानदारी से बनते तो एक भी नदी-नाला सूखा नहीं मिलता: प्रहलाद पटेल

मेरे पास पैसा मांगने मत आना, मंत्री प्रहलाद पटेल की सरपंच-सचिवों को समझाइश - Minister Prahlad Patel controversial statement again
भोपाल। मध्यप्रदेश के कैबिनेट प्रहलाद पटेल एक बार अपने बयान को लेकर सुर्खियों में है। सोमवार को खंडवा प्रवास के दौरान एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपनी ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में स्टॉप डैम अगर ईमानदारी से बनते तो एक भी नदी-नाला सूखा नहीं मिलता। इस राज्य में इतने स्टॉप डैम बने हैं कि हर 50 मीटर में नदी-नाले में स्टॉप डैम मिल जाना चाहिए, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।

इतना ही नहीं मंत्री प्रहलाद पटेल ने सरपंच और सचिवों से कहा कि उनके पास नाली, सीसी सड़क, बाउंड्रीवॉल और स्टॉपडैम का पैसा मांगने मत आना, मैंने इस पर प्रतिबंध लगा कर रखा है। उन्होंने कहा कि खंडवा में एक स्टॉपडैम सफल हुआ तो 23 किमी में पानी भर गया, ऐसे ईमानदार प्रयास होने चाहिए. मंत्री ने आगे कहा कि हम मुर्दे खोदने नहीं आए कि हम पीछे पलटकर देखेंगे, लेकिन रुककर देखना और समझना पड़ेगा। प्रदेश में 1400 नई पंचायत और लगभग इतनी ही पुरानी पंचायत के पास भवन नहीं है. प्लानिंग नहीं होने की वजह से ये स्थिति निर्मित हुई।

चर्चा में था भीख मांगने वाला बयान- ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल अपने बयानों से पहली बार सुर्खियों में है। पिछले दिनों राजगढ़ जिले के सुठालिया कस्बे में रानी अवंती बाई लोधी की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा उन्होंने कहा कि लोगों को सरकार से ‘‘भीख मांगने’’ की आदत पड़ गई है। इतना ही नहीं पटेल ने कहा कि लोगों को समाज से लेने की आदत पड़ गई है। अब तो वे सरकार से भीख मांगने के भी आदी हो गए हैं। जब भी लोगों के बीच नेता पहुंचते हैं, तो उन्हें काफी संख्या में मांग-पत्र पकड़ा दिया जाता है। नेताओं को मंच पर माला पहनाई जाती है और फिर उन्हें मांग-पत्र थमा दिया जाता है। यह अच्छी आदत नहीं है। उन्होंने लोगों को देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों से सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भिखारियों की फौज इकट्ठा करना’ समाज को मजबूत नहीं करता, बल्कि उसे कमजोर करता है।
 
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