युद्ध के संबंध में चाणक्य नीति क्या कहती है?
1. युद्ध अंतिम विकल्प हो: 'शांति से काम न चले तब युद्ध करो, लेकिन युद्ध ही पहला उपाय नहीं होना चाहिए।'
चाणक्य मानते थे कि किसी भी विवाद या समस्या का समाधान पहले कूटनीति, बातचीत और समझौते से निकालना चाहिए। युद्ध तब ही किया जाना चाहिए जब सभी अन्य विकल्प असफल हो जाएं।
2. युद्ध जीतने के लिए धोखा भी जायज़ है: 'शत्रु को हराने के लिए छल, कपट, झूठ या धोखे का सहारा लेना अनुचित नहीं है।'
चाणक्य कहते हैं कि जब राष्ट्र की रक्षा या अस्तित्व का सवाल हो, तब नैतिकता से ऊपर रणनीति आती है। उनका मानना था कि युद्ध केवल ताकत से नहीं, बुद्धि और चालाकी से जीता जाता है।
3. शत्रु की कमजोरियों का पता लगाओ: 'अपने शत्रु की कमजोरी को पहचानो और वहीं से वार करो।'
चाणक्य की रणनीति थी कि शत्रु की मानसिक, आर्थिक, सैन्य या राजनीतिक कमजोरियों का अध्ययन करके उसे उसी के आधार पर पराजित किया जा जाना चाहिए।
4. गुप्तचरों का उपयोग: 'गुप्तचर युद्ध जिताने का सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं।'
चाणक्य ने गुप्तचरों यानी जासूसों को युद्ध और राजनीति का अभिन्न हिस्सा बताया है। सही समय पर सही सूचना और भीतर से तोड़फोड़ करने वाले गुप्तचर किसी भी युद्ध की दिशा बदल सकते हैं। अत: गुप्तचरों का उपयोग करके युद्ध जीता जा सकता है।
5. आक्रमण की योजना गुप्त रखो: 'सफल आक्रमण वही होता है जो अप्रत्याशित हो।'
6. चार उपाय - साम, दाम, दंड, भेद: चाणक्य नीति के अनुसार, युद्ध से पहले इन चार उपायों को अपनाना चाहिए:
• साम : बातचीत और समझौता
• दाम : धन या लोभ देकर अपने पक्ष में करना
• दंड : शक्ति और दंड का प्रयोग
• भेद : दुश्मन के बीच फूट डालना
7. न्याय युद्ध vs. अन्याय युद्ध: चाणक्य इस बात पर जोर देते हैं कि युद्ध अगर धर्म और न्याय की रक्षा के लिए हो, तो वह उचित है। अगर वह केवल अहंकार या वर्चस्व के लिए है, तो उसे उचित नहीं कहा जा सकता।
इस तरह चाणक्य की युद्ध नीति द्वारा आक्रमण पर मुख्य रूप से विचार किया जाना हितकारी साबित हो सकता है।
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