गुरुवार, 24 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. हिन्दू धर्म
  4. sindhu nadi ki rochak tathya in hindi
Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 (12:28 IST)

सिंधु नदी के 10 रोचक तथ्य, पाकिस्तान के सिंध प्रांत को क्या कहते थे पहले?

Sindhu nadi facts in hindi
Interesting facts about Indus River: पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया है। सिंधु नदी भारत की एक प्राचीन नदी है। एक समय था जबकि कहा जाता था कि सिंधु के बगैर अधूरा हिंदू। हालांकि इस नदी का बहुत सा हिस्सा अब पाकिस्तान में बहता है और इस नदी की कई सहायक नदियां भी है तो पाकिस्तान की भूमि को उर्वर करती है और लोगों की प्यास भी बुझाती है। सिन्धु नदी भारत से होकर गुजरती है लेकिन इसका मुख्य इस्तेमाल भारत-पाक जल संधि के तहत पाकिस्तान करता है। आओ जानते है इस नदी की अनसुनी 10 रोचक बातें।ALSO READ: क्या है सिंधु जल समझौता, जिसे भारत ने रद्द कर पाकिस्तान को दिया बड़ा झटका
 
1. सिंधु का अर्थ: सिन्धु का अर्थ अथाह जलराशि होता है। सिन्धु नदी का भारत और हिन्दू इतिहास में सबसे ज्यादा महत्व है। इसे इंडस कहा जाता है इसी के नाम पर अंग्रेजों ने भारत का नाम इंडिया रखा गया। पुराणों में अरब सागर को सिंधु सागर कहा गया है क्योंकि यह नदी हिमालय से निकलकर इसी समुद्र में लीन हो जाती है।
 
2. सिंधु का उद्गम, मार्ग, लंबाई और विलय: सिन्धु नदी का उद्‍गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर-पूर्व से होता है। यह नदी हिमालय की दुर्गम कंदराओं से गुजरती हुई कश्मीर और गिलगिट से होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। करीब 120 किमी लंबी सीमा तय करती हुई सुलेमान के निकट पाक-सीमा में प्रवेश करती है। पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती हुई यह नदी कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है। 
 
3. सिंधु नदी की लंबाई: सिन्धु नदी करीब 3,600 किलोमीटर लंबी है। इसका क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। इसका अनुमानित वार्षिक प्रवाह लगभग 243 किमी है, जो इसे औसत वार्षिक प्रवाह के मामले में दुनिया की 50 सबसे बड़ी नदियों में से एक बनाता है।
 
4. रास्ता बदलती सिंधु नदी: इस नदी ने पूर्व में अपना रास्ता कई बार बदला है। 1245 ई. तक यह मुल्तान के पश्चिमी इलाके में बहती थी। 200 वर्ष पूर्व यह नदी गुजरात के पास कच्छ में विचरण करते हुए अरब सागर में गिरती थी। अनुसंधान कहते हैं कि 1819 के भूकंप के कारण भुज के पास प्राकृतिक बांध बन गए और सिन्धु नदी के जल का आना वहां रुक गया जिससे कच्छ का रण धीरे-धीरे सूख गया और अब यह नदी पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती हुई यह कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है।
 
5. सिन्धु की सहायक नदियां: सिन्धु की पश्चिम की ओर की सहायक नदियों- कुभा सुवास्तु, कुमु और गोमती का उल्लेख भी ऋग्वेद में है। इस नदी की सहायक नदियां- वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा और शुतुद्री है। इसमें शुतुद्री सबसे बड़ी उपनदी है। शुतुद्री नदी पर ही एशिया का सबसे बड़ा भागड़ा-नांगल बांध बना है। झेलम, चिनाब, रावी, व्यास एवं सतलुज सिन्ध नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं। इनके अतिरिक्त गिलगिट, काबुल, स्वात, कुर्रम, टोची, गोमल, संगर आदि अन्य सहायक नदियां हैं।
 
6. सिन्धु नदी तट के तीर्थ: मु्ल्तान में सिन्धु-चिनाब के किनारे पर श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब की याद में एक सूर्य मंदिर बना है। इसका वर्णन महाभारत में भी है। इस मंदिर का स्वरूप कोणार्क के सूर्य मंदिर से मिलता-जुलता है, लेकिन अब सब कुछ नष्ट कर दिया गया है। यही नहीं, सिन्धु किनारे के सारे हिन्दू तीर्थ मुस्लिम उत्थान काल में तोड़ दिए गए। सिन्धु नदी के मुहाने पर (हिंगोल नदी के तट पर) पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज नामक स्थान पर, कराची से 144 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। माता हिंगलाज (या हिंगलाज) का मंदिर, जो 52 शक्तिपीठों में से एक है।
 
7. सिंधु का हिंदू शास्त्रों में उल्लेख: इस नदी का उल्लेख वेदों में अनेक स्थानों पर है। इस नदी के किनारे ही वैदिक धर्म और संस्कृति का उद्गम और विस्तार हुआ है। कहते हैं कि वेदों की कुछ ऋचाओं की रचना भी इसी नदी के तट पर हुई थी। वाल्मीकि रामायण में सिन्धु को महानदी की संज्ञा दी गई है। जैन ग्रंथ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति में सिन्धु नदी का वर्णन मिलता है। 
 
8. सरस्वती नदी के दो भाग: शोधानुसार कहते हैं कि जब किसी प्राकृतिक आपदा के कारण सरस्वती नदी लुप्त हुई तो वह मुख्यत: दो भागों में विभक्त हो गई। पहली सिंधु और दूसरी गंगा। कहते हैं कि सरस्वती लगभग 21 हजार वर्ष पूर्व अपने शबाब पर थी। तब उसकी चौढ़ाई लगभग 22 किलोमीटर की होती थी। रामायण काल में शतलज नदी पहले पश्चिम में मुड़कर बहती थी। उसके पहले वह सरस्वती में आकर मिलती थी। महाभारत में मिले वर्णन के अनुसार सरस्वती नदी हरियाणा में यमुनानगर से थोड़ा ऊपर और शिवालिक पहाड़ियों से थोड़ा-सा नीचे आदिबद्री नामक स्थान से निकलती थी। रेगिस्तान में उतथ्य मुनि के शाप से भूगर्भित होकर सरस्वती लुप्त हो गई और पर्वतों पर ही बहने लगी। महाभारत में सरस्वती नदी के मरुस्थल में 'विनाशन' नामक जगह पर विलुप्त होने का वर्णन है।
 
9. सिंधु घाटी की सभ्यता: आईआईटी खड़गपुर और भारतीय पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिकों के नए शोध के अनुसार सिन्धु घाटी की सभ्यता करीब 10 हजार ईसा पूर्व अपने चरम पर थीं। इसका मतलब यह कि यह सभ्यता तब विद्यमान थी जबकि भगवान श्रीराम (5114 ईसा पूर्व) का काल था और श्रीकृष्ण के काल (3228 ईसा पूर्व) में इसका पतन होना शुरू हो गया था। भारत में ऐसी कई भाषाएं हैं जो हिन्दी से भी पुरानी है। यदि हम प्राचीन सिंधु देश या सिंधु घाटी की लिपि या भाषा की बात करेंगे तो यह तो आज भी रहस्य बरकरार है। इसमें ब्रह्मी लिपि इस क्षेत्र की मुख्य लिपि थी। परंतु अब सिंधि भाषा मुख्यत: दो लिपियों में लिखी जाती है, अरबी-सिंधी लिपि तथा देवनागरी-सिंधी लिपि।
 
10. पाकिस्तान का सिंध प्रांत था प्राचीन सिंधु देश: वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत को प्राचीनकाल में सिंधु देश कहा जाता था। रघुवंश में सिंध नामक देश का रामचंद्रजी द्वारा भरत को दिए जाने का उल्लेख है। युनान के लेखकों ने अलक्षेंद्र के भारत-आक्रमण के संबंध में सिंधु-देश के नगरों का उल्लेख किया है। मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा सिंधु देश के दो बड़े नगर थे। महाभारत में राजा जयद्रथ का उल्लेख मिलता है जो धृतराष्ट्र की पुत्री दुःश्शाला का पति था। यह राजा जयद्रथ सिंधु नरेश था।
 
ये भी पढ़ें
पाकिस्तान में कितने हैं हिंदू मंदिर और कितने तोड़ दिए गए?