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Last Updated : सोमवार, 21 अप्रैल 2025 (14:28 IST)

कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन, कैसे चुना जाएगा नया पोप, क्या है प्रक्रिया

वेटिकन के 1000 साल के इतिहास में पहले गैर यूरोपीय पोप थे फ्रांसिस

pope francis died
Catholic priest Pope Francis dies: दुनियाभर के कैथोलिक ईसाई समुदाय के धर्मगुरु 88 वर्षीय 266वें पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। पोप पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक व्यक्त किया है। इस बीच, अगले पोप के चुनाव की चर्चाएं भी होने लगी हैं। न सिर्फ ईसाई समुदाय बल्कि अन्य लोगों में भी इस बात की जिज्ञासा है कि आखिर पोप का चुनाव कैसे होता है? दुनिया के सबसे छोटे देश वेटिकन (Vatican City) में रहने वाले पोप के अधिकार क्या हैं?
 
हालांकि पोप के निधन या इस्तीफे के बाद कैथोलिक चर्च का शासन कार्डिनल्स कॉलेज के पास चला जाता है। कार्डिनल दुनिया भर के बिशप और वेटिकन के अधिकारी होते हैं, जिन्हें पोप द्वारा व्यक्तिगत रूप से चुना जाता है। पोप का पद रिक्त होने के बाद कार्डिनल वेटिकन में बैठकें आयोजित करते हैं। वे वैश्विक स्तर पर कैथोलिक चर्च के सामने आने वाली चुनौतियों और जरूरतों की चर्चा करते हैं। वे आगामी पोप चुनाव की तैयारी भी करते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से...
 
कौन करता है पोप का चुनाव : नए पोप का चुनाव 'पैपल कॉन्क्लेव' करता है। इस कॉन्क्लेव में 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल शामिल होते हैं। वर्तमान में दुनियाभर में 252 कार्डिनल हैं। हालांकि इलेक्टर्स की संख्या 120 तक सीमित है। वोटिंग का अधिकार 80 वर्ष से कम उम्र के कार्डिनल को ही होता है।
 
भारत से भी एक वोटर :  निकट भविष्य में होने वाले पोप के चुनाव में भारत से भी दो कार्डिनल वोट डालेंगे। इनमें से एक कार्डिनल जॉर्ज एलेंचरी सायरो मलाबार कैथोलिक चर्च के प्रमुख आर्कबिशप हैं। हालांकि एलेंचरी 19 अप्रैल 2025 को 80 वर्ष के हो जाने के बाद एलेंचरी अपने वोट का अधिकार खो चुके हैं। जबकि, दूसरे 51 वर्षीय कार्डिनल जॉर्ज कूवाकड हैं, जिन्हें दिसंबर 2024 में कार्डिनल्स के कॉलेज में नियुक्त किया गया था। कूवाकड एक वेटिकन राजनयिक और इंटररिलिजियस डायलॉग के प्रमुख भी हैं। कूवाकड पोप के दौरे और वैश्विक धार्मिक नेताओं के साथ संबंधों की जिम्मेदारी भी निभाते हैं। 
 
कैसे होता है चुनाव : नए पोप के चुनाव के लिए हर दिन चार दौर की वोटिंग तब तक की जाती है, जब तक कि उम्मीदवार को दो तिहाई वोट नहीं मिल जाते। वोट देने वाले कार्डिनल सबसे पहले प्रार्थना करते हैं और गोपनीयता की शपथ लेते हैं। इसके बाद बैलट पर अपने पसंदीदा पोप का नाम लिखते हैं।
 
इस पूरी चुनाव प्रक्रिया की निगरानी 9 कार्डिनल्स करते हैं, जबकि 3 कार्डिनल वोट जुटाते हैं। तीन कार्डिनल वोटों की गिनती करते हैं, जबकि तीन वोटों की पुनर्गणना करते हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में पोप का पद खाली होने के 15 से 20 दिन बाद कार्डिनल सेंट पीटर बेसिलिका में एकत्रित होते थे और नए पोप के चुनाव में पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का आह्वान करते थे। 
 
कैसे होती हैं विजेता की घोषणा : चुनाव के बाद नए पोप की घोषणा का तरीका भी कम रोचक नहीं है। मतदान के बाद मतपत्रों को एक खास पदार्थ के साथ जलाया जाता है। इससे सफेद धुआं उठता है। सफेद धुआं उठने का अर्थ यह होता कि नए पोप का चुनाव हो चुका है। यानी उसे दो तिहाई वोट मिल चुके हैं। पोप के चयन के बाद नए पोप सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी में आते हैं और फिर घोषणा होती है कि हमें नया पोप मिल गया है। उससे पहले वे (चुना हुआ पोप) पोप के वस्त्र पहनते हैं। नया पोप रोम शहर और पूरी दुनिया को अपना आशीर्वाद देता है।
 
कौन हैं दावेदार : 1000 साल का इतिहास में पोप फ्रांसिस एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जो गैर यूरोपीय पोप थे। पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी रहे थे। वे 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। 267वें पोप के लिए 5 नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। इनमें लुइस एंटोनियो (फिलीपींस), पिएन्नो पारोलिन (इटली), पीटर तुर्कसन (घाना), पीटर एर्दो (हंगरी) और मार्क ओउलेट (कनाडा) शामिल हैं।    
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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