360 degree masterstroke of Narendra Modi: भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव, जो युद्ध जैसी स्थिति की ओर इशारा करता है। इस स्थिति से भारत की सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक ताकत वैश्विक मंच पर उभरी है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने जिस तरह से संयम, आक्रामकता और रणनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया, वह न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि एक आत्मनिर्भर, ताकतवर, और वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने वाले भारत की छवि को मजबूत करता है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस संकट में हर मोर्चे पर अभूतपूर्व प्रबंधन दिखाया, जिसने न केवल पाकिस्तान को कूटनीतिक और सैन्य रूप से जवाब दिया, बल्कि वैश्विक समुदाय और विपक्ष के साथ भी सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा।
शेयर बाजार की स्थिरता : आर्थिक मोर्चे पर मास्टरस्ट्रोक; युद्ध जैसी स्थिति में शेयर बाजार अक्सर अस्थिरता का शिकार होता है, लेकिन मोदी सरकार ने इस मोर्चे पर अपनी आर्थिक नीतियों की मजबूती सिद्ध की। पहलगाम हमले के बाद भी बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में केवल मामूली उतार-चढ़ाव देखा गया। वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने त्वरित हस्तक्षेप के साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को भारत की आर्थिक स्थिरता पर भरोसा दिलाया। सरकार ने वैश्विक निवेशकों के साथ वर्चुअल सम्मेलन आयोजित किए, जिसमें भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं को रेखांकित किया गया। सेबी ने बाजार में अफवाहों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए, और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को तरलता बनाए रखने के लिए रणनीतिक निवेश का निर्देश दिया। यह आर्थिक प्रबंधन न केवल भारत की आर्थिक रीढ़ को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की विश्वसनीयता को भी बढ़ाता है।
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ईंधन और खाद्यान्न भंडार : सैन्य टकराव में रसद प्रबंधन किसी भी देश की रणनीति का आधार होता है। भारत ने इस क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता को सिद्ध किया। रणनीतिक तेल भंडार, जो 5.33 मिलियन मीट्रिक टन की क्षमता रखता है, ने सैन्य और नागरिक जरूरतों के लिए ईंधन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की। भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 60 मिलियन टन से अधिक अनाज भंडार के साथ खाद्य सुरक्षा को अडिग रखा। तेल विपणन कंपनियों ने पाइपलाइन और रेल नेटवर्क के माध्यम से आपूर्ति को सुचारु बनाए रखा। सरकार ने मध्य पूर्व और अन्य वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं के साथ वैकल्पिक समझौतों को सक्रिय किया, ताकि वैश्विक आपूर्ति शृंखला में किसी भी व्यवधान का प्रभाव न्यूनतम रहे। यह रसद प्रबंधन भारत की उस रणनीतिक तैयारी का प्रतीक है, जो संकट के समय भी देश को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाए रखता है।
सैन्य मोर्चे पर संयम और शक्तिशाली जवाब : पहलगाम हमले के बाद भारत ने 6 मई 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित जम्मू-कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000, राफेल, और सुखोई-30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों के साथ अचूक हमले किए, जबकि थल सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर अपनी तैनाती को मजबूत किया, जिसमें स्वदेशी धनुष तोपों और बोफोर्स तोपों का उपयोग शामिल था। नौसेना ने अरब सागर में INS विक्रांत और INS कोलकाता जैसे युद्धपोतों को तैनात कर पाकिस्तानी नौसेना की किसी भी हरकत को विफल करने की तैयारी की।
भारत ने खुफिया जानकारी के आधार पर सीमा पार आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें अत्याधुनिक लड़ाकू जेट राफेल सहित स्वदेशी आकाश मिसाइल और DRDO द्वारा विकसित ड्रोन का उपयोग हुआ। इन हमलों ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत किसी भी आक्रामकता का त्वरित और कड़ा जवाब देगा। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाइयों से भारत को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, जो भारतीय सेना की रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताओं का प्रमाण है। यह सैन्य शक्ति और तकनीकी श्रेष्ठता भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर एक अजेय शक्ति के रूप में स्थापित करती है।
साम्प्रदायिक सौहार्द : समावेशी नेतृत्व का संदेश
युद्ध जैसी स्थिति में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना एक जटिल चुनौती होती है, खासकर भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में। मोदी सरकार ने इस मोर्चे पर अपनी संवेदनशीलता और रणनीति से एक मिसाल कायम की। हिंदू और मुस्लिम महिला अधिकारियों को प्रेस ब्रीफिंग के लिए चुनना एक सशक्त कदम था, जिसने देश के भीतर एकता का संदेश दिया। इन ब्रीफिंग्स में महिला अधिकारियों ने संकट के प्रबंधन और सरकार की रणनीति को आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत किया, जिसने वैश्विक मंच पर भारत की समावेशी संस्कृति और लैंगिक समानता को प्रदर्शित किया। यह कदम न केवल सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत की प्रगतिशील छवि को भी मजबूत करता है।
विपक्ष के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध : पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार ने विपक्ष के साथ अभूतपूर्व समन्वय दिखाया। 24 अप्रैल 2025 को, प्रधानमंत्री ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को सरकार की रणनीति और जवाबी कार्रवाइयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस बैठक में विपक्ष ने सरकार के रुख का समर्थन किया और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया। विपक्षी नेताओं ने संसद और सार्वजनिक मंचों पर सरकार की सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाइयों की सराहना की, जिसने आंतरिक राजनीतिक एकता को और मजबूत किया। यह एकता भारत की उस ताकत का प्रतीक है, जो संकट के समय राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती है।
संयमित प्रहार वाली कूटनीति और विश्व नेताओं की प्रशंसा : भारत की कूटनीतिक रणनीति ने इस संकट में वैश्विक समुदाय का समर्थन हासिल किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 7 मई 2025 को फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो और जर्मनी के विदेश मंत्री जो वाडेफुल के साथ संयुक्त टेलीकॉन्फ्रेंस में भारत के आतंकवाद के खिलाफ रुख को स्पष्ट किया। दोनों देशों ने पहलगाम हमले के बाद भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति का समर्थन किया। कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने भी भारत की लक्षित और संयमित प्रतिक्रिया की सराहना की।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 8 मई 2025 को जयशंकर के साथ बातचीत में आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई और भारत की संयमित प्रतिक्रिया की प्रशंसा की। जर्मनी ने भारत के रुख का समर्थन करते हुए घोषणा की कि उसकी एयरलाइंस पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं करेंगी, जो भारत की कूटनीतिक जीत का प्रतीक है। रूस, जो दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है, ने आतंकवाद की निंदा की और भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। इन वैश्विक नेताओं की प्रशंसा ने भारत की कूटनीतिक चातुर्य और वैश्विक प्रभाव को रेखांकित किया।
हर बात का ध्यान : एक ताकतवर देश की पहचान
मोदी सरकार ने इस संकट में हर पहलू का सूक्ष्मता (माइक्रोमैनेजमेंट) से ध्यान रखा। सैन्य तैनाती, आर्थिक स्थिरता, रसद प्रबंधन, सामाजिक एकता, विपक्ष के साथ समन्वय और वैश्विक कूटनीति— हर मोर्चे पर सरकार ने अपनी रणनीति से दुनिया को दिखाया कि एक ताकतवर देश कैसा होता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर भारत ने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया। जयशंकर ने गैर-स्थायी सदस्यों के साथ बातचीत कर पहलगाम हमले पर भारत के रुख को स्पष्ट किया। सरकार ने सोशल मीडिया और पारंपरिक मीडिया का प्रभावी उपयोग कर जनता में भय और अफवाहों को रोका, जिसने जनता के मनोबल को बनाए रखा।
भारत की वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभरती छवि : भारत-पाकिस्तान तनाव ने सिद्ध किया कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। मोदी सरकार का 360 डिग्री मैनेजमेंट, जिसमें सैन्य आक्रामकता, आर्थिक स्थिरता, सामाजिक एकता, विपक्ष के साथ सौहार्द और वैश्विक कूटनीति शामिल है, ने भारत को एक नई पहचान दी है। वैश्विक नेताओं की प्रशंसा और विपक्ष की एकजुटता ने भारत की आंतरिक और बाहरी ताकत को और मजबूत किया।
मान गए मोदी! यह उस नेतृत्व की सच्चाई है, जिसने भारत को हर चुनौती में अडिग और अजेय बनाए रखा। यह भारत की वह ताकत है, जो न केवल अपनी सीमाओं और नागरिकों की रक्षा करती है, बल्कि विश्व मंच पर एक जिम्मेदार, शक्तिशाली, और समावेशी राष्ट्र की छवि प्रस्तुत करती है।