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Last Modified: शनिवार, 19 अप्रैल 2025 (19:12 IST)

हमास की टनल बैटल स्ट्रैटेजी का इजराइल पर खौफ,गाजा में न पक्का मकान बनेगा और न ही स्कूल या अस्पताल

हमास की टनल बैटल स्ट्रैटेजी का इजराइल पर खौफ,गाजा में न पक्का मकान बनेगा और न ही स्कूल या अस्पताल - Hamas' tunnel battle strategy is a cause of fear for Israel
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यह विश्वास किया जाता है की किसी दूसरे देश में सैन्य आधारित नीतियों से गहरी राजनीतिक समस्याएं पैदा होती हैं। हालांकि  इजराइल और अमेरिका के लिए स्थापित मान्यताएं कभी बाधा नहीं समझी जाती और वह अपने राजनीतिक और सामरिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कोई भी कदम उठाने से परहेज नहीं  करते है। गाजा में इजराइल कई कॉरिडोर बना रहा है,सुरक्षा की दृष्टि से यह इजराइल की अहम और निर्णायक योजना है। गाजा  के बाशिंदों का अब क्या होगा,यह तो वक्त बताएगा लेकिन इजराइल जिस योजना पर काम कर रहा है,उससे यह साफ है की अब सम्पूर्ण गाजा में कोई भी नागरिक पक्का घर नहीं बना पाएगा। अब स्कूल,अस्पताल,कॉलेज और सभी संस्थान कच्चे ढांचों या शेल्टर होम जैसी जगहों से ही संचालित होंगे। यहां तक की अंतर्राष्ट्रीय संस्थान भी अस्थाई ढांचों से ही काम करेंगे। आखिर इजराइल किस योजना पर काम कर रहा है और वह ऐसा क्यों कर रहा है,यह जानना भी बेहद दिलचस्प है।

दरअसल गाजा पट्टी भूमध्य सागर के दक्षिण-पूर्वी तट पर एक संकरी भूमि है। यह क्षेत्र उत्तर और पूर्व में इजरायल और दक्षिण में मिस्र के बीच में स्थित है। दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इस क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 140 वर्गमील है और यहां पर 2007 से हमास का राजनीतिक और प्रशासनिक कब्जा है। हमास एक आतंकी संगठन की तरह काम करता है और इस कारण यूरोप समेत कई देशों ने इस पर प्रतिबन्ध लगा रखा है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइल पर हमला करके सैकड़ों लोगों को मार डाला था और कईयों को बंदी बना कर अपने साथ ले गए थे। उसके बाद से इजराइल की आधुनिक सेना गाजा में हमास के खिलाफ लड़ाई जारी रखे हुए है लेकिन गाजा जैसे छोटे और संकीर्ण क्षेत्र पर डेढ़ साल में भी कब्जा नहीं कर सकी है। हमास के लड़ाके गुरिल्ला युद्द से सेना पर हमलें करके अब भी इजराइल की नाक में दम किए है। इस सबके पीछे हमास की वह रणनीति है जिसे टनल बैटल स्ट्रैटेजी भी कहा जाता है,जिससे युद्धक क्षमता में दुनिया के अगुवा देशों में शामिल इजरायल भी पार नहीं पा रहा है।

2005 में इसरायल ने फ़िलीस्तीनी स्वतंत्रता संस्था के साथ हुए समझौते के तहत गाजा और पश्चिमी तट से बाहर हट जाने का  फैसला किया। साथ ही इसरायल ने ग़ज़ा तथा पश्चिमी तट पर स्थित यहूदी बस्तियों को भी हटाने का काम शुरु किया था। 2007 में हमास के गाज़ा में सत्ता संभालने के बाद स्थितियां तेजी से बदली और  इज़राइल और मिस्र ने इसे सुरक्षा हेतु आवश्यक बताते हुए  गाजा की स्थायी नाकाबंदी  लागू कर दी। गाज़ा तीनों ओर से स्थल से घिरा हुआ क्षेत्र है। जमीन के सिर्फ दो तरफ इज़राइल है जबकि पश्चिम की दिशा में भूमध्यसागर में इसकी जलीय सीमा इज़राइल द्वारा ही नियन्त्रित होती है,जिससे समुद्र के रास्ते प्रवेश पर रोक लग जाती है। इसमें तीन कार्यात्मक सीमा क्रॉसिंग मौजूद रही हैं,करीम अबू सलेम क्रॉसिंग,इज़राइल द्वारा नियंत्रित इरेज़ क्रॉसिंग और मिस्र द्वारा नियंत्रित राफा क्रॉसिंग।

हमास पर कड़ी नजर रखने और गाजा की नाकाबंदी के बाद भी हमास ने जमीन के इस छोटे से टुकड़े में जो रणनीतिक साम्राज्य स्थापित किया,उसकी इतिहास में कोई और मिसाल नहीं हो सकती। ईरान,क़तर,कुवैत,तुर्की,सऊदी अरब, अल्जीरिया,सूडान और संयुक्त अरब अमीरात हमास के आर्थिक और राजनीतिक समर्थक माने जाते है। हमास ने आर्थिक मदद का इस्तेमाल सैन्य ठिकाने में इस प्रकार किया की 140 वर्गमील के क्षेत्र में जमीन के कई फीट अंदर हजारों किलोमीटर लम्बी गुंथी हुई सुरंगे बना डाली। इसरायली सेना भी यह देखकर अचम्भित हो गई की कंक्रीट और मेटल से बनी हुई इन सुरंगों को मिसाइल से हमला कर नष्ट करना भी आसान नहीं है। इनमें जीपीएस सिस्टम और रोबोट भी लगे हुए हैं। माना जाता है कि इन सुरंगों पर मिसाइल हमले भी कई बार नाकाम हो जाते हैं। अंडरग्राउंड सामरिक चुनौतियों के लिए इजराइली आर्मी की रणनीतिक चुनौती इतनी ज्यादा है कि उसे गहरी सुरंगों या बंकरों को नष्ट करने के लिए खास तरह से विस्फोट करने की जरूरत पड़ती है।

यह सुरंगे पूरे गाजा में फैली हुई है और इनके प्रवेश द्वार लोगों के घरों,अस्पतालों या स्कूलों में खुलते है। हमास की रणनीति यह भी रही की यदि इजराइल ने सुरंगों को निशाना बनाने की कोशिश की तो लोग मारे जायेंगे और वैश्विक स्तर पर इजराइल पर दबाव भी बढ़ेगा। इस युद्द में हमास की रणनीति काम आई लेकिन हजारों फिलिस्तीनी मारे गये। इजराइल का यह दावा सच निकला की हमास लोगों का मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करता है। हमास ने सुरंगों की सुरक्षा भी लोगों की जान की कीमत पर सुनिश्चित की। 

फ़लस्तीन में हमास की शुरुआत इख़्वानुल मुस्लिमीन की शाखा के तौर पर हुई थी. इख़्वानुल मुस्लिमीन एक इस्लामी संगठन है और इसकी बुनियाद मिस्र में सन 1928 में रखी गई थी। हमास के लिए मिस्र एक महत्वपूर्ण क्रॉसिंग पॉइंट रहा और भोजन और सामान की सबसे बड़ी मात्रा मिस्र के रास्ते ग़ज़ा की पट्टी तक पहुंचाई जाती रही। यह माना जाता है की मिस्र की सरकार ने हमास को भले ही मदद न दी हो लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड के सहयोग से इसी रास्ते हमास को हथियार और गोला बारूद भी मिला। हमास के पास कितना असलहा और गोला बारूद जमीन के नीचे जमा है,इसका पता इसी बात से लगता है की 7 अक्टूबर 2023 के हमले में उसने केवल एक दिन में कई हज़ार रॉकेट इजराइल पर फ़ायर किए थे। हमास को 95 फीसदी से अधिक फ़ंडिंग सरकारों,इख़्वानुल मुस्लिमीन के पूंजीपतियों,जनता और पूरी दुनिया में फ़लस्तीन के समर्थकों से मिलती है। हमास का समर्थन करने वाले सबसे महत्वपूर्ण ग़ैर सरकारी संगठनों में अल अंसार जैसी कल्याणकारी संस्था शामिल है। ईरान मारे जाने वाले फ़लस्तानियों के परिवारों को हर तीन महीने पर आर्थिक मदद देता है। इजराइल हमास को मिलने वाली फंडिंग,गाजा तक जाने वाले रास्तों और फंडिंग के उपयोग को पूर्णत: नियंत्रित करना चाहता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने  इस साल चार फ़रवरी को ग़ज़ा पट्टी पर अमेरिकी नियंत्रण का प्रस्ताव रखा था। हालांकि उनके प्रस्ताव का भारी विरोध हुआ था,पर लगता है नेतान्याहू उसी योजना पर काम कर रहे है।  इज़रायल ने हमास की सैन्य क्षमताओं को नष्ट करने के प्रयासों में गाजा पर 2008,2012,2014 और 2021 में कुल मिलाकर चार बड़े सैन्य हमले किए  थे। 7 अक्टूबर 2023 से इज़रायल की सेना गाजा के अंदर घुसकर युद्द लड़ रही है। अब इस पांचवें युद्द को लेकर नेतान्याहू के इरादें बेहद स्पष्ट है। गाजा के बाशिंदों को या तो अस्थाई घरों में रहना होगा या देश छोड़कर कहीं और बसना होगा। बहरहाल इजराइल अब हमास को ऐसा और कोई मौका नहीं देना नहीं चाहता जिससे हमास फिर मजबूत हो तथा उसकी टनल बैटल स्ट्रैटेजी की इजराइल को एक बार फिर भारी कीमत चुकानी पड़े।
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