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Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 15 अप्रैल 2025 (17:43 IST)

Retail inflation rate : आम आदमी को बड़ी राहत, मार्च में खुदरा महंगाई दर और घटी, 4 महीने के निचले स्तर पर आई

Retail inflation rate : आम आदमी को बड़ी राहत, मार्च में खुदरा महंगाई दर और घटी, 4 महीने के निचले स्तर पर आई - wpi eases to 6 month low of 2.05 percent in march 2025 cheaper food items impact on wholesale inflation
आम आदमी के लिए बड़ी राहत की खबर आई। देश की खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है। खाद्य वस्तुओं और ऊर्जा उत्पादों की कीमतों में गिरावट की बदौलत देश में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर इस वर्ष मार्च में घटकर 2.05 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले 4 महीनों का सबसे निचला स्तर है। 
 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2025 में थोक महंगाई दर 2.38 प्रतिशत और जनवरी में 2.51 प्रतिशत रही थी। खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई फरवरी के 5.94 प्रतिशत से घटकर मार्च में 4.66 प्रतिशत पर आ गई। वहीं, प्राथमिक वस्तुओं की मुद्रास्फीति 2.81 प्रतिशत से घटकर 0.76 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि ईंधन और बिजली की कीमतों में मामूली बढ़त देखी गई। फरवरी में जहां यह नकारात्मक 0.71 प्रतिशत थी, वह मार्च में मामूली बढ़त के साथ 0.20 प्रतिशत हो गई।
 
कौनसी वस्तुएं हुईं सस्ती
विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में मार्च में 3.07 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो फरवरी में 2.86 प्रतिशत थी। यह श्रेणी डब्ल्यूपीआई में सबसे अधिक यानी करीब 64 प्रतिशत का हिस्सा रखती है। सब्जियों की कीमतों में मार्च में 15.88 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि फरवरी में यह गिरावट 5.80 प्रतिशत थी। प्याज की मुद्रास्फीति भी कम होकर 26.65 प्रतिशत पर आ गई, जो फरवरी में 48.05 प्रतिशत थी। आलू की मुद्रास्फीति इस दौरान 27.54 प्रतिशत से घटकर नकारात्मक 6.77 प्रतिशत रह गई। दालों की मुद्रास्फीति भी नकारात्मक रही – मार्च में -2.98 प्रतिशत जबकि फरवरी में यह -1.04 प्रतिशत थी। हालांकि, अनाज की कीमतों में मार्च में 5.49 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो फरवरी में 6.77 प्रतिशत थी।
 
प्राथमिक वस्तुओं का सूचकांक फरवरी के 186.6 से घटकर मार्च में 184.6 पर आ गया, जो महीने-दर-महीने 1.07 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। इस गिरावट की मुख्य वजह खाद्य वस्तुएं (-0.72 प्रतिशत), कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (-2.42 प्रतिशत) और गैर-खाद्य वस्तुएं (-2.40 प्रतिशत) की कीमतों में कमी रही। हालांकि, खनिजों की कीमत में 0.31 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। ईंधन और बिजली का सूचकांक भी फरवरी के 153.8 से घटकर मार्च में 152.4 रह गया, यानी कि इसमें 0.91 की गिरावट आई। इस समूह में बिजली की कीमतों में 2.31 प्रतिशत और खनिज तेलों की कीमतों में 0.70 प्रतिशत की गिरावट हुई जबकि कोयले की कीमतें स्थिर रहीं।
 
विनिर्मित उत्पाद के सूचकांक में फरवरी की तुलना में 0.42 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 143.8 से बढ़कर 144.4 पर पहुंच गया। एनआईसी समूहों में से 16 समूहों में कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई जबकि पांच में गिरावट और एक में कोई बदलाव नहीं हुआ। जिन क्षेत्रों में कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज हुई उनमें खाद्य उत्पाद, मूल धातु, अन्य विनिर्माण, मशीनरी एवं उपकरण और परिवहन उपकरण प्रमुख रहे।
 
डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक में भी मामूली गिरावट देखी गई। यह फरवरी में 189.0 से घटकर मार्च में 188.8 पर आ गया। इसके साथ ही खाद्य मुद्रास्फीति की वार्षिक दर फरवरी की 5.94 प्रतिशत से घटकर मार्च में 4.66 प्रतिशत पर आ गई। जनवरी 2025 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार, 'सभी वस्तुओं' के लिए डब्ल्यूपीआई सूचकांक 155.0 रहा और मुद्रास्फीति दर 2.51 प्रतिशत रही।
 
कब जारी होंगे अप्रैल के आंकड़े
यह रिपोर्ट दर्शाती है कि थोक महंगाई में हल्की नरमी आ रही है, खासकर खाद्य वस्तुओं और ऊर्जा क्षेत्र में। यह उपभोक्ताओं के लिए थोड़ी राहत लेकर आई है। अप्रैल 2025 के डब्ल्यूपीआई आंकड़े 14 मई को जारी किए जाएंगे। इस बीच, देश के कई हिस्सों में जारी गर्मी की लहर और भारतीय मौसम विभाग की चेतावनियों ने आगामी महीनों में महंगाई दबाव को लेकर चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा है कि खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार के कारण महंगाई में नरमी देखी जा रही है और वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसमें राहत मिलने की उम्मीद है।
 
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अप्रैल में चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का औसत अनुमान चार प्रतिशत रखा है, जो फरवरी की बैठक में 4.2 प्रतिशत था। तिमाही आधार पर अनुमान के मुताबिक पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत, दूसरी में 3.9 प्रतिशत, तीसरी में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इन अनुमानों में जोखिम संतुलित हैं और निकट भविष्य में उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना है। इनपुट एजेंसियां 
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