जम्मू से आई सुकून वाली खबर, मस्जिद और मदरसों ने खोले विस्थापितों के लिए दरवाजे
India-Pakistan tension : मुस्लिम धर्म के प्रमुख विद्वान मुफ्ती सगीर अहमद ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू क्षेत्र में सभी मस्जिदों और मदरसों के दरवाजे सीमा के पास के इलाकों से विस्थापित लोगों के लिए खुले हैं। पुंछ जिले में बुधवार को पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में 13 लोगों के मारे जाने और 44 लोगों के घायल होने के बीच सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील पर बथिंदी में मदरसा मरकज-उल-मारिफ द्वारा रक्तदान शिविर लगाया गया, जिसमें मुफ्ती सगीर अहमद दर्जनों युवाओं के साथ शामिल हुए, जिस दौरान उन्होंने यह बात कही।
मरकज-उल-मारिफ मदरसे के प्रमुख ने कहा, हमने सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए यह शिविर लगाया है ताकि हमारे अस्पतालों में रक्त की कोई कमी न हो... इस्लाम हमें सिखाता है कि एक जीवन को बचाना, पूरी मानवता को बचाने के बराबर है। उन्होंने कहा कि देश और इसके लोगों को इस समय उनकी जरूरत है और वह सीमा पर घायल हुए लोगों के लिए रक्तदान करने के लिए आगे आए हैं।
अहमद ने कहा, हमने अपने मदरसों और मस्जिदों को सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों के लिए तैयार रखा है, ताकि उन्हें स्थानांतरित किया जा सके। यह इस्लाम की शिक्षा है और हम इसका पालन कर रहे हैं। अगर हम किसी इंसान की जान बचा सकते हैं, तो हम मानवता को बचा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षक और छात्र दोनों ही स्वेच्छा से रक्तदान कर रहे हैं और अब तक 50 यूनिट से अधिक रक्त एकत्र किया जा चुका है, जिसे जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल के रक्त बैंक में जमा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के लोगों की बिना किसी भेदभाव के मदद करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, हम किसी के भी साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं, चाहे वह प्रशासन से कोई हो या जनता से।
उन्होंने कहा, पिछले दो दिनों में अन्य स्वयंसेवकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भी कई जगहों पर रक्तदान शिविर लगाए हैं। इस बीच जामिया जियाउल-इस्लाम नामक एक शैक्षणिक संस्थान ने करीब 50 लोगों को आश्रय दिया है। ये लोग सीमा पार गोलाबारी के कारण अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए थे। संस्थान ने कहा है कि वह इन लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार हैं। (भाषा)
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Edited by : Chetan Gou