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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 2 मई 2025 (15:19 IST)

चित्रगुप्त जी की पूजा कैसे करें? जानिए क्या करें और क्या नहीं

चित्रगुप्त जी की पूजा कैसे करें? जानिए क्या करें और क्या नहीं - How to perform Chitragupta Puja Chitragupta Puja dos and donts
Chitragupta Puja dos and donts: भारतीय संस्कृति में प्रत्येक पर्व केवल उत्सव नहीं होता, वह जीवन जीने की शैली, नियम और चेतना का प्रतीक भी होता है। ऐसा ही एक विशिष्ट पर्व है चित्रगुप्त प्रकटोत्सव, जो वर्ष 2025 में 4 मई 2025 को आएगा। यह दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से कायस्थ समाज के लिए अत्यंत श्रद्धा का दिन होता है, जिसमें वे अपने कुलदेवता भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं, जो हमारे जीवन के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले देवता माने जाते हैं। यह दिन भगवान चित्रगुप्त जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। 
 
चित्रगुप्त जी की पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह हमें आत्मनिरीक्षण, ईमानदारी, न्याय और सदाचार के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है। इस पूजा में कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि पूजा पूर्ण श्रद्धा, पवित्रता और विधि-विधान से सम्पन्न हो। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, चित्रगुप्त पूजा में क्या करें (Dos) और क्या न करें (Don'ts), ताकि आप इस पर्व को सही तरीके से मना सकें और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
 
चित्रगुप्त पूजा के पहले जानें इन बातों का महत्व
भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न हुए देवता माने जाते हैं, जिनका कार्य जीवों के जीवन भर के कर्मों को लिखना और उसका विश्लेषण करना होता है। यह पूजा न केवल धार्मिक प्रक्रिया है, बल्कि एक आध्यात्मिक पुनरावलोकन भी है, जिसमें व्यक्ति अपने बीते वर्ष के कर्मों को सोचता है और आने वाले वर्ष के लिए श्रेष्ठ संकल्प करता है।
 
इस पूजन में नियमों और संयम का पालन न करना पूजा के प्रभाव को घटा सकता है। इसलिए जानिए क्या करें और क्या नहीं-
 
क्या करें – चित्रगुप्त पूजा में आवश्यक कार्य (Dos)
1. घर और पूजा स्थल की सफाई अवश्य करें: चित्रगुप्त पूजा से एक दिन पूर्व या उसी दिन सुबह घर की पूरी सफाई करें। विशेष रूप से पूजा स्थल को शुद्ध रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और पूजा में पवित्रता बनी रहती है।
 
2. स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें: पूजा करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ, पारंपरिक वस्त्र पहनें। महिलाएं साड़ी या सलवार-कुर्ता, पुरुष धोती-कुर्ता या साफ वस्त्र पहन सकते हैं। यह आंतरिक और बाह्य शुद्धता का प्रतीक है।
 
3. चित्रगुप्त जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें: पूजन के लिए चित्रगुप्त जी का चित्र या मूर्ति रखें। यदि न हो तो प्रतीकात्मक रूप से सफेद कागज पर उनका नाम लिखकर पूजा कर सकते हैं।
 
4. कलम, दवात और कागज की पूजा करें: यह पूजन की विशेषता है। कलम और दवात को ताम्र या पीतल की थाली में रखें। उन पर हल्दी, कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं। सफेद कागज पर "ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः" लिखें और पूजा करें।
 
5. ईमानदारी और कर्म का संकल्प लें: पूजा के बाद आत्मावलोकन करें और जीवन में सच्चाई, न्याय और ईमानदारी के साथ जीने का संकल्प लें। यही इस पर्व का मुख्य संदेश है।
 
6. परिवार के साथ पूजा करें: पूजा में परिवार के सभी सदस्य शामिल हों, विशेष रूप से बच्चों को इस पूजा का महत्व समझाएं। उन्हें कलम, कॉपी या शैक्षणिक वस्तुएं भेंट करें।
 
7. पूजा में नैवेद्य, दीप और मंत्रोच्चार अवश्य करें: भगवान को हलवा, मिठाई या फल का नैवेद्य चढ़ाएं। दीप प्रज्वलित करें और "ॐ चित्रगुप्ताय नमः" मंत्र का जाप करें।
 
क्या न करें – चित्रगुप्त पूजा में किन बातों का रखें ध्यान (Don'ts)
1. पूजा से पहले मांसाहार और मद्य का सेवन न करें: पूजा से पहले और उस दिन पूर्णतः शाकाहारी भोजन करें। मांस, शराब या नशा करने से पूजा की शुद्धता नष्ट होती है।
 
2. पूजा स्थल पर चप्पल, मोबाइल या शोर न करें: पूजा करते समय पूरी एकाग्रता रखें। मोबाइल बंद रखें और पूजा स्थल को चप्पल-जूते से दूर रखें।
 
3. गलत या अधूरी विधि से पूजा न करें: यदि आप पूजा विधि ठीक से नहीं जानते, तो पहले से जानकारी लेकर या किसी पंडित से मार्गदर्शन लेकर पूजा करें। अधूरी या गलत विधि से पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।
 
4. कलम-दवात को उपयोगी वस्तु न समझें, पूजन सामग्री समझें: पूजा के बाद इन वस्तुओं को सामान्य कामों में प्रयोग न करें। इन्हें संभालकर रखें या किसी पवित्र स्थान पर रखें।
 
5. पूजा में अशुद्ध या गंदे वस्त्र न पहनें: गंदे या असभ्य वस्त्र पूजा के समय पहनना अनुचित है। स्वच्छ और सादगीपूर्ण वस्त्र ही धारण करें।
 
6. केवल परंपरा के नाम पर पूजा न करें, भाव रखें: अगर आप केवल रस्म के तौर पर पूजा कर रहे हैं, तो उसका कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा। पूजा करते समय सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखें। 


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