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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025 (12:11 IST)

ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने के हैं 2 प्रमुख कारण?

crucifixion of Jesus Christ| ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने के हैं 2 प्रमुख कारण?
Good Friday : ईसाई धर्म को क्रिश्‍चियन धर्म भी कहते हैं। इस धर्म के संस्थापक प्रभु ईसा मसीह को माना जाता है। ईसा मसीह को जीसस और यीशु भी कहते हैं। गुड फ्रायडे यानी शुभ शुक्रवार को बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है। शुक्रवार को उन्हें सूली दी गई थी इसलिए इसे 'गुड फ्रायडे' कहते हैं।  ईसा मसीह जिस जगह पर सूली चढ़ाया गया था उस स्थान को गोलगोथा नाम से जाना जाता है। यह जगह इसराइल की राजधानी यरुशलम में ईसाई क्षेत्र में है। इसे ही हिल ऑफ़ द केलवेरी कहा जाता है। इस स्थान पर चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन है। होली स्कल्प्चर से चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन तक के मार्ग को दुख या पीड़ा का मार्ग माना जाता है।ALSO READ: प्रभु यीशु ने 12 शिष्‍यों के पैर धोकर दिया सेवाभाव का संदेश
 
ईसाइयों की पवित्र पुस्तक बाइबिल- यूहन्ना- 18, 19 में इस घटना का विस्तार से विवरण मिलता है। हालांकि इससे इतर भी इस घटना का वर्णन मिलता है। यहां पर सभी का समायोजन किया गया है। बाइबल और कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार ईसा मसीह को सूली दिए जाने के कई कारण थे जिसमें से 2 कारणों को प्रमुख माना जा सकता है। 
 
1. नबूवत का दावा: कहते हैं कि लोगों के बीच लोकप्रिय ईसा मसीह ने नबूवत का दावा किया था और वह पुराने धर्म में फैल गई बुराइयों के विरुद्ध बोलने लगे थे वे मानवता के पक्षधर थे, जिसके चलते यहूदियों में रोष फैल गया था। उस दौरान नबूवत का दावा करने वाले और भी कई लोग थे। नबूवत का दावा करना अर्थात नबी, ईशदूत, प्रॉफेट या पैगंबर होने की घोषणा करना। कहते हैं कि यहूदियों के कट्टरपंथियों को ईसा मसीह द्वारा खुद को ईश्वर पुत्र बताना अच्‍छा नहीं लगा। उधर, रोमनों को हमेशा यहूदी क्रांति का डर सताता रहता था, क्योंकि उन्होंने यहूदी राज्य पर अपना शासन स्थापित कर रखा था। इसी कारण रोमनों के गवर्नर पितालुस ने यहूदियों की यह मांग स्वीकार कर ली की ईसा को क्रूस पर लटका दिया जाए।ALSO READ: गुड फ्राइडे को कैसे मिला ये नाम? क्या है गुड फ्राइडे का इतिहास, जानिए ईसाई धर्म के लोग कैसे मनाते हैं गुड फ्राइडे
 
2. रोमनों के कलेक्टर्स की शिकायत पर सूली: एक थ्‍योरी यह भी कहती है कि ईसाया की बुक ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार कहते हैं कि येशु जब गधे पर बैठकर आते हैं तो येरुशलम में खजूर की डालियां उठाकर लोग उनका स्वागत करते हैं, जो यह मान रहे थे कि यह बनी इस्राइल के तामाम दुश्‍मनों को हरा देगा। फिर यीशु जाते हैं टेम्पल मांउट के ऊपर और वे देखते हैं कि टेम्पल के जो आउटर कोटयार्ड है उसके अंदर रोमन टैक्स कलेक्टर बैठे हैं, मनी चेंजरर्स बैठे हैं और वहां पर हर तरह का करोबार हो रहा है। यह देखकर यीशु को बहुत दु:ख होता है कि टेम्पल (पवित्र मंदिर) में इस तरह का कार्य हो रहा है तो वह अपना कबरबंध (बैल्ट) निकालकर उससे उन लोगों को मार-मार कर उन्हें वहां से निकाल देते हैं। बाद में जब रोमनों के गवर्नर को यह पता चला तो वे इसकी सजा के तौर पर यीशु को सूली देने का ऐलान कर देते हैं।
उल्लेखनीय है कि उस दौर में इसराइल एक यहूदी राज्य था और येरुशलम उसकी राजधानी, जिस पर रोमनों ने उसी तरह कब्जा कर रखा था जिस तरह की अंग्रेजों ने अन्य कई देशों पर कर रखा था। ईसा मसीह जानते थे हमारा राज्य रोमनों की गुलामी में है। उन्होंने वही किया जो एक देशभक्त करता। हालांकि हम नहीं जानते हैं कि सच क्या है। उक्त बातें प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। परंतु यह तो सिद्धि होता है कि ईसा मसीह से एक ओर जहां यहूदी खफा थे वहीं रोमन भी। हालांकि यहूदियों का सजा देने का अपना तरीका होता है और वह अपने शुत्र को सजा खुद ही देते थे। ज्यादातर वे सजा के तौर पर संगसार करते थे।ALSO READ: ईसाई धर्म: गुड फ्राइडे कब है, क्या करते हैं इस दिन
 
क्यों दिया था जुदास ने धोखा?
29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर येरुशलम पहुंचे और वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। उनके शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्‍वासघात किया। जिसे यहूदा भी कहते थे।अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। उस वक्त उनकी उम्र थी लगभग 33 वर्ष। ईसा मसीह ने क्रूस पर लटकते समय ईश्वर से प्रार्थना की, 'हे प्रभु, क्रूस पर लटकाने वाले इन लोगों को क्षमा कर। वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।'
 
धन के लालच में यहूदा ने ईसा मसीह को धोखा दिया था और उसे ईसा मसीह के खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया गया था। यहूदा ने यह कभी नहीं माना कि वह ईश्‍वर का पुत्र है और उसने ईसा मसीह को उनके दुश्मनों के हाथों सौंप दिया। हालांकि बाद में इस बात से दुखी हुआ कि उसने क्या किया था।
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