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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 21 अप्रैल 2025 (16:14 IST)

कैलाश मानसरोवर यात्रा होगी फिर शुरू, जानिए कितना होगा खर्चा

Kailash mansarovar yatra| कैलाश मानसरोवर यात्रा होगी फिर शुरू, जानिए कितना होगा खर्चा
Kailash Mansarovar Yatra : विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के जल्द ही दोबारा बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत और चीन दोनों देशों के बीच उड़ान सेवाएं फिर से शुरू करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं और प्रासंगिक तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है। कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 के बाद से नहीं हुई है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए आपके पास पासपोर्ट और वीजा होना जरूरी है।ALSO READ: कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर होगी शुरू, चीन के साथ विमान सेवा पर भी बनी सहमति
 
कैलाश मानसरोवर यात्रा खर्च:
कैलाश मानसरोवर यात्रा की कुल लागत अलग-अलग मार्ग, परिवहन के साधन और ठहरने के प्रकार पर निर्भर करती है। एक अनुमानित लागत 1,80,000 से 3,00,000 रुपए प्रति व्यक्ति हो सकती है। यात्रियों की 3 दिन की दिल्ली में ट्रेनिंग भी होती है। शारीरिक रूप से सक्षम लोगों को ही यात्रा की अनुमति मिलती है। यात्रा के लिए 60-60 श्रद्धालुओं के कुल 18 जत्थे बनाए जाते हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा जून के पहले सप्ताह से प्रारंभ होकर सितंबर के पहले सप्ताह तक चलती है। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होता है। 
 
इस यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत तिब्बत सीमा पुलिस की होती है। इसके अलावा कुमाऊं मंडल विकास निगम और सिक्किम पर्यटन विकास निगम यात्रा कर रहे लोगों को सहयोग और मदद देती है। वहीं यात्रा कर रहे लोगों का 'दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट' की ओर से फिटनेस टेस्ट किया जाता है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर आपको यात्रा खर्च का संपूर्ण विवरण मिल जाएगा।
 
भारतीयों के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा के 2 रास्ते हैं-
1. नाथुरा दर्रा: कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारतीय राज्य सिक्किम के नाथुला होकर गुजरता है। यह रूट 802 किलोमीटर है। 21 दिन की इस यात्रा में 2.5 लाख रुपये का खर्च होता है। नाथुला के लिए आपको पहले गंगकोट जाना होगा।
 
2. लिपुलेख: सबसे छोटा रास्ता उत्तराखंड के लिपुलेख से है। यहां से कैलाश मानसरोवर की दूरी 65 किलोमीटर है। इस यात्रा में 24 दिन का समय लग जाता है। पूरी यात्रा का खर्च 1.80 लाख रुपए है। लिपुलेख के लिए पहले धारचूला जाना होगा।
mansarovar yatra
कैलाश पर्वत और मानसरोवर का परिचय:
भगवान शिव का धाम कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है। मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। मानसरोवर के पास एक सुन्दर सरोवर रकसताल है। इन दो सरोवरों के उत्तर में कैलाश पर्वत है। इसके दक्षिण में गुरला पर्वतमाला और गुरला शिखर है। कैलाश मानसरोवर चार धर्मों तिब्बती बौद्ध और सभी देश के बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केन्द्र है।
 
कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलज व करनाली। इन नदियों से ही गंगा, सरस्वती सहित चीन की अन्य नदियां भी निकली है। कैलाश के चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख है जिसमें से नदियों का उद्गम होता है, पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में हाथी का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, दक्षिण में मोर का मुख है।
 
कैलाश मानसरोवर की कठिन यात्रा:
यहां चारों तरफ कल्पना से भी ऊंचे बर्फीले पहाड़ हैं। जैसे कुछ पहाड़ों की ऊंचाई 3500 मीटर से भी अधिक है। कैलाश पर्वत की ऊंचाई तो 22028 फुट हैं। आपको 75 किलोमीटर पैदल मार्ग पर चलने और पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए जरूरी है कि आपका शरीर मजबूत और हर तरह के वातावरण और थकान को सहन करने वाला हो। हालांकि यदि नाथुला दर्रे से जाने की अनुमति मिलती है तो यह यात्रा 75 से घटकर सिर्फ 10-15 किलोमीटर तक की ही रहा जाएगी। कार से जाएं या पैदल यह दुनिया का सबसे दुर्गम और खतरनाक स्थान है।
 
उत्तराखंड से शुरु होने वाली यात्रा: इधर इस सीमा का संचालन भारतीय सीमा तक कुमाऊं मण्डल विकास निगम द्वारा की जाती है, जबकि तिब्बती क्षेत्र में चीन की पर्यटक एजेंसी इस यात्रा की व्यवस्था करती हैं। अंतरराष्‍ट्रीय नेपाल-तिब्बत-चीन से लगे उत्तराखंड के सीमावर्ती पिथौरागढ़ के धारचूला से कैलाश मानसरोवर की तरफ जाने वाले दुर्गम व 75 किलोमीटर पैदल मार्ग के अत्यधिक खतरनाक होने के कारण यह यात्रा बहुत कठिन होती है।
 
चीन से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए हिमाचल प्रदेश के शिपकी ला पास से होकर गुजरने वाले मार्ग को मानसरोवर यात्रा के लिए खोले जाने के लिए चर्चा हुई है। हिमाचल के किन्नौर से गुजरने वाला यह मार्ग मौजूदा उत्तराखंड के यात्रा मार्ग के मुकाबले कम दूरी का है। आप सीधे सिक्किम पहुंचकर भी यात्रा शुरू कर सकते हैं।