बड़ी खबर: यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में हिंदू धर्मग्रंथ गीता और नाट्यशास्त्र भी शामिल
नई दिल्ली। यूनेस्को ने हिंदू धर्मग्रंत श्री भगवद गीता और भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड' रजिस्टर में शामिल किया है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यूनेस्को के इस कदम से भारत की इस धरोहर को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। इसमें दर्ज होना उस देश की दस्तावेजी धरोहर की अहमियत और इसे लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। इसके जरिए इन दस्तावेजों पर अनुसंधान, इससे जुड़ी शिक्षा, मनोरंजन और संरक्षण पर भी समयानुसार जोर दिया जाता है।
क्या है यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर?
यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र संघ का हिस्सा है। यूनेस्को का पूरा मतलब है- यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन। यूनेस्को ने 1992 में अपने मेमोरी ऑफ द वर्ड की रजिस्टर की स्थापना की थी। इसके जरिये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी दस्तावेजी धरोहरों के संरक्षण का मकसद रखा गया जो या तो दुर्लभ हैं या संकटग्रस्त है। यूनेस्को का मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर दुनिया की महत्वपूर्ण दस्तावेजी धरोहरों को बचाने और उन्हें हमेशा के लिए उपलब्ध कराने की एक कोशिश है। इस लिस्ट में शामिल होने से अतीत के इन धरोहर ग्रंथों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड लिस्ट में अब तक 568 दस्तावेजी धरोहरों को शामिल किया जा चुका था। इसमें ऋग्वेद सहित भारत के कुल 12 दस्तावेज हैं।
पीएम मोदी ने कहा गर्व का क्षण:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर संस्कृति-पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत और दर्जनों हस्तियों ने इस फैसले को लेकर खुशी जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत की प्राचीन ज्ञान और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर मिली पहचान बताया है। यह कदम इन महत्वपूर्ण धरोहर ग्रंथों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। न्होंने कहा कि हिंदू धर्मग्रंथों ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित करने का काम किया है।