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  4. Statement of Assam Chief Minister Himanta Biswa Sharma regarding India's historic victory against Pakistan in 1971
Last Modified: गुवाहाटी , रविवार, 11 मई 2025 (17:41 IST)

1971 में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत के बाद इंदिरा गांधी ने स्थिति को ठीक से नहीं संभाला, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने लगाया यह आरोप

Himanta Biswa Sharma
Chief Minister Himanta Biswa Sharma News : असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की ऐतिहासिक जीत और बांग्लादेश की स्थापना के बाद स्थिति को ठीक से नहीं संभाला। शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि उस अवधि के राजनीतिक नेतृत्व की विफलता के कारण बांग्लादेश की स्थापना एक ऐतिहासिक अवसर था, जिसे गंवा दिया गया।
 
मुख्यमंत्री का यह पोस्ट ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस नेता शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस घोषणा के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना कर रहे हैं कि वॉशिंगटन की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल सैन्य हमले रोकने पर सहमत हो गए हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार को जमीन, हवा और समुद्र पर सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से रोकने की सहमति बनी। कांग्रेस के अलावा कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी मोदी की तुलना 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान स्थिति को संभालने के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तरीके से की है।
 
शर्मा ने ‘एक्स’ पर ‘बांग्लादेश की स्थापना का मिथक : एक रणनीतिक विजय, एक कूटनीतिक मूर्खता’ शीर्षक के तहत पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, भारत की 1971 की सैन्य जीत निर्णायक और ऐतिहासिक थी। इसने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और बांग्लादेश की स्थापना की। हालांकि हमारे सैनिकों ने युद्ध के मैदान में शानदार सफलता दर्ज की, लेकिन भारत का राजनीतिक नेतृत्व स्थाई रणनीतिक लाभ हासिल करने में नाकाम रहा।
शर्मा ने दावा किया कि बांग्लादेश की स्थापना को अक्सर कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जाता है, लेकिन इतिहास कुछ और ही कहानी बयां करता है। उन्होंने कहा, 1971 में भारत की सैन्य जीत के बावजूद रणनीतिक दूरदर्शिता नहीं दिखाई जा सकी। जो एक नई क्षेत्रीय व्यवस्था कायम करने का अवसर साबित हो सकता था, उसे एकतरफा उदारता तक सीमित कर दिया गया। अगर इंदिरा गांधी आज जिंदा होतीं, तो राष्ट्र उनसे हमारे सशस्त्र बलों की ऐतिहासिक जीत के बाद की स्थिति को गलत तरीके से संभालने के लिए सवाल करता।
 
मुख्यमंत्री ने कहा, बांग्लादेश की स्थापना कोई सौदा नहीं था, यह एक ऐतिहासिक अवसर गंवाने सरीखा था। उन्होंने अपने आरोप के समर्थन में छह स्पष्टीकरण पेश करते हुए कहा कि बांग्लादेश की स्थापना एक धर्मनिरपेक्ष वादा था, लेकिन यह एक इस्लामी वास्तविकता बन गया है।
शर्मा ने कहा, भारत ने धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश का समर्थन किया। फिर भी 1988 में इस्लाम को राजकीय धर्म घोषित कर दिया गया। आज ढाका में राजनीतिक इस्लाम पनप रहा है, जो उन मूल्यों को कमजोर कर रहा है, जिनकी रक्षा के लिए भारत ने लड़ाई लड़ी।
 
पड़ोसी देश में हिंदुओं के उत्पीड़न के बारे में बात करते हुए शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश की आबादी में अल्पसंख्यक समुदाय की हिस्सेदारी कभी 20 फीसदी हुआ करती थी, लेकिन सुनियोजित भेदभाव और हिंसा के कारण अब यह घटकर महज आठ प्रतिशत रह गई है। उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ सुनियोजित भेदभाव और हिंसा जारी रही तथा एक शर्मनाक वास्तविकता बन गई, जिसे भारत ने बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया।
 
शर्मा ने कहा, ‘चिकन्स नेक’ (भू-राजनीतिक स्थिति और संकरी बनावट के कारण संवेदनशील सिलिगुड़ी गलियारा) को असुरक्षित छोड़ दिया गया। सैन्य प्रभुत्व के बावजूद भारत सिलीगुड़ी कॉरिडोर को सुरक्षित करने में नाकाम रहा। उत्तरी बांग्लादेश से होकर एक सुरक्षित भूमि गलियारा पूर्वोत्तर को एकीकृत कर सकता था, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था कभी नहीं अपनाई गई।
 
मुख्यमंत्री ने आव्रजन मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की अनिवार्य वापसी के लिए कोई समझौता नहीं हुआ। उन्होंने कहा, नतीजतन असम, बंगाल और पूर्वोत्तर में बेलगाम दर से जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो रहा है, जिससे सामाजिक अशांति एवं राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो रही है।
शर्मा ने दावा किया कि भारत रणनीतिक रूप से अहम चटगांव बंदरगाह तक पहुंच सुनिश्चित नहीं कर पाया है और पांच दशक बाद भी पूर्वोत्तर क्षेत्र भूमि से घिरा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि उग्रवादियों को बांग्लादेश में शरण मिली, पड़ोसी देश कई दशकों तक भारत विरोधी उग्रवादी समूहों के लिए पनाहगाह बना रहा और 1971 में भारत की ओर से की गई चूक का फायदा उठाया गया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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