Mangalayatan University: मंगलायतन विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की और उन्होंने विद्यार्थियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आज के युग में यह एक शक्तिशाली उपकरण है जो व्यक्तियों और समाज को प्रगति की ओर ले जाता है। विद्यार्थियों को लगातार सीखने और अपने ज्ञान का उपयोग मानवता की सेवा में करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने गुरु को श्रद्धा का अधिकारी बताते हुए कहा कि दुनिया में सिर्फ माता-पिता व गुरु चाहते हैं कि उनका बच्चा उन्हें पीछे छोड़कर आगे निकले। श्रद्धा जितनी ज्यादा होगी उतना ही ज्ञान अर्जन में आसानी होगी। विद्या का एक उद्देश्य यह भी है कि हम सम्मानजनक जीवन बिता सकें और अर्थ पैदा कर सकें। जब अर्थ आएगा तो उससे धमार्थ के कार्य भी कर सकेंगे। उन्होंने पांडवों की कहानी सुनाते हुए धर्म व रिलीजन के अलग-अलग होने का अर्थ बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा देने का कार्य सबसे बड़ा धर्म है, क्योंकि शिक्षा व्यक्ति व समाज के सशक्तिकरण के लिए है। विश्वविद्यालय में आकर जिसका दूसरा जन्म नहीं हुआ है, जिसने मानस का विस्तार नहीं किया है तो आप सिर्फ साक्षर हो गए हैं, शिक्षित नहीं हुए। शिक्षा का फल बताते हुए बताया कि जो हम विद्या प्राप्त करते हैं, उसे धारण करके तेज का रूप धारण करना चाहिए। समाज व देश को आलोकित करे तभी विद्या का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है।
उन्होंने बात कला को प्रखर करने व कर्म का मर्म बताते हुए कहा कि सही शब्दों का चयन और उसके माध्यम से अपनी बात कहना कर्म है। यदि आप सही शब्दों का प्रयोग नहीं करते तो इसका मतलब यह है कि आप समस्या को समझते ही नहीं है। जब समझेंगे तो नहीं तो समाधान कहां से लाएंगे। संस्कार व संस्कृति के पहली पाठशाला मां की गोद व पिता का संरक्षण होता है। हमारी संस्कृति व संस्कार नहीं मिटे भले ही परिस्थितियां विपरती रहीं हों। हजारों साल पहले जो आदर्श और मूल्य भारतवासियों को प्रेरित करते थे वह आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं। विविधता व एकता ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। हमारी संस्कृति हमें बताती है यह दुनिया विविधता से भरी हुई है। इसका सम्मान करना चाहिए। जो इस वास्तविकता को नहीं देख पाएगा उसे कभी मोक्ष प्राप्त नहीं होगा। भारतीय संस्कृति ही पूरी दुनिया को शांति का रास्ता दिखा सकती है।
विद्यार्थियों को मिली उपाधियां : अकादमिक उत्कृष्टता और उत्साह के माहौल में दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय प्रांगण में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान कुल गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में चेयरमैन हेमंत गोयल व गुरु ऋषिराज महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शपथ दिलाई। इस गरिमामय समारोह में विभिन्न विषयों के विद्यार्थियों को उनकी अकादमिक उपलब्धियों के लिए उपाधियां प्रदान की गईं। इनमें स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा धारक, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र धारक भी शामिल रहे। इसमें पीएचडी शोधार्थी भी शामिल हैं जो अनुसंधान ज्ञान के नए आयाम खोलेंगे। आठ को स्वर्ण पदक और नौ को रजत पदक मिले।
कर्तव्यों के भान से होगा देश का विकास : विशिष्ठ अतिथि यूपी के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने दीक्षांत समारोह के साथ नवजीवन में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि समाज व देश में मॉडल बनना पड़ेगा, लेकिन मेडल से मॉडल बनने की यात्रा कठिन है। जिन्हें मेडल नहीं मिले हैं, उन्हें और संघर्ष करते हुए संकल्प लेना होगा कि कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। अब आपको जीवन की नई शिक्षा ग्रहण करनी है। मात्र पढ़ने लिखने व कोर्स करने का नाम शिक्षा नहीं है।
उन्होंने कहा कि मंगलायतन विश्वविद्यालय उत्कृष्ट शैक्षणिक गुणवत्ता, अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों में उत्कृष्टता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनईपी 2020 लागू करके शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार किया है। आज शिक्षा में संस्कार, रोजगार, कौशल विकास से जोड़ा जा रहा है। डिजिटल तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शिक्षा क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दी गई है। महिला सशक्तिकरण के तहत मेधावी छात्राओं को स्कूटी देने का प्रावधान रखा है। आज भारत आर्थिक स्थिति में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। जब राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को भान होगा तभी विकसित भारत का निर्माण होगा। हमें राष्ट्र भक्ति कूट कूट कर अपने दिमाग में रखनी चाहिए।
भारत के निर्माण में निभाए अहम भूमिका : कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलाधिपति अच्युतानंद मिश्र ने नया अध्याय शुरू कर रहे विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे केवल नौकरी पाने वाले नहीं, बल्कि नवाचार के माध्यम से उद्यमिता विकसित करने वाले बनें। जिससे देश को विकसित राष्ट्र बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि आज लोग ज्ञान केवल विषय तक सीमित नहीं रहता, मंगलायतन विश्वविद्यालय ने आपको वह शक्ति दी है जो तेजी से बदलती दुनिया में आपको सफल बनाने में मदद करेगी। उन्होंने विद्यार्थियों से दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने का आह्वान करते हुए विकसित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाने की आशा व्यक्त की।
अथक परिश्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक हैं उपाधियां : कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। 11वां दीक्षांत समारोह का यह ऐतिहासिक अवसर केवल एक उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि यहां मिलने वाली उपाधियां अथक परिश्रम, समर्पण और दृढ़ संकल्प का प्रतीक हैं। शिक्षा जीवन भर चलने वाली यात्रा है। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों का घर रहेगा और जीवन आपको कहीं भी ले जाए हमेशा इस परिवार का अभिन्न हिस्सा रहेंगे।
प्रो. राजीव शर्मा, प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दिकी, प्रो. किशनपाल सिंह, प्रो. आरके शर्मा ने उपाधि धारकों को प्रस्तुत किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। अतिथियों ने दीक्षांत समारोह की स्मारिका का विमोचन किया। आयोजन कुलसचिव बिग्रेडियर समरवीर सिंह व संयुक्त कुलसचिव प्रो. दिनेश शर्मा के नेतृत्व हुआ। इस अवसर पर एमएलसी ऋषिपाल सिंह, यूएमयू रांची की कुलपति प्रो. मधुलिका कौशिक, एएमयू के प्रति कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज, एमटीएसओयू के कुलपति प्रो. परवेज मसूद, एएमयू के प्रो. अब्दुला बुखारी, सहित सभी विभागों के डीन, विभागाध्यक्ष व छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. स्वाति अग्रवाल ने किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
इनको मिला स्वर्ण पदक : कीर्ति गौड़, नियाजी उज्मा, प्रज्ञा शर्मा, फुरकान कुरैशी, अतुल सिंह, मोनिका तिवारी, तहरीम जाफरी, सचिन कुमार शर्मा। रजत पदक : पूजा, आफरीन मसर्रत, मेघा वार्ष्णेय, अक्षेका सक्सेना, चेतन बनवारी लाल शर्मा, सानिया खान, प्रियंका पाठक, लवली, धीरज कुमार शर्मा।
क्या कहा गोल्ड मेडलिस्ट ने : मोनिका तिवारी ने कहा- विद्यार्थी जीवन में गोल्ड मेडल मिलना बहुत सम्मान की बात है। मेरे जीवन का यह यादगार लम्हा है, जिसे में कभी नहीं भूलूंगी। विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों के मार्गदर्शन से यह संभव हुआ है। फुरकान कुरैशी ने कहा- मेहनत की जाए तो कोई भी मुकाम पाया जा सकता है। गोल्ड मेडल पाकर बहुत खुश हूं। जो विद्यार्थी अपने सपनों को नई उड़ान देना चाहते हैं उनके लिए मंविवि सबसे अच्छा विकल्प है।
प्रज्ञा शर्मा ने कहा- अनुशासन और मेहनत के बिना सफलता की उम्मीद बेमानी है। विश्वविद्यालय से मिला पुरस्कार केवल व्यक्तिगत प्रयास का परिणाम नहीं है, बल्कि परिवार, शिक्षकों के समर्थन का भी प्रतीक है। कीर्ति गौड़ ने कहा- मेरे लिए यह पदक मात्र एक सम्मान नहीं, बल्कि आगे की राह में प्रेरणा का स्रोत है। हमें अपने ज्ञान का उपयोग समाज को बेहतर बनाने में करना चाहिए। विवि में बिताया समय याद रहेगा।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala