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Last Modified: रविवार, 27 अप्रैल 2025 (14:39 IST)

श्री श्री वैदिक गुरुकुल के छात्रों ने मार्शल आर्ट्स में जीता ब्लैक बेल्ट शोडान

श्री श्री वैदिक गुरुकुल के छात्रों ने मार्शल आर्ट्स में जीता ब्लैक बेल्ट शोडान - Students of Sri Sri Vedic Gurukul won Black Belt in Martial Arts
परम पूज्य श्री श्री रविशंकर गुरुदेव के दिव्य आशीर्वाद और प्रेरणादायी मार्गदर्शन से श्री श्री वैदिक गुरुकुल, ओंकारेश्वर के वैदिक छात्रों ने वेदों के गहन अध्ययन के साथ-साथ 4 वर्षों के अटूट संकल्प, अनुशासन और कठिन परिश्रम से मार्शल आर्ट्स (कराटे) में ब्लैक बेल्ट शोडान (1st DAN) की अत्यंत प्रतिष्ठित उपाधि अर्जित की है।

यह गौरवमयी उपलब्धि ऑल इंडिया बुडो शोतो कराटे एसोसिएशन (AIBSKA), कोलकाता के तत्वावधान में प्राप्त हुई, जो विश्व-विख्यात जापान शोटोकान कराटे एसोसिएशन (JSKA) से मान्यता प्राप्त एक सम्मानित संस्था है। यह कठिन ब्लैक बेल्ट परीक्षा AIBSKA के संस्थापक, तीर्थंकर नंदी सेंसेई (7th Dan ब्लैक बेल्ट) ने लिया, जिनके पास 30 वर्षों से अधिक का समृद्ध अनुभव है और जिन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों में हजारों छात्र-छात्राओं को मार्शल आर्ट्स की उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान की है।
वैदिक गुरुकुल के इन मेधावी छात्रों ने अपने अध्ययनकाल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिताओं में अनेक स्वर्णिम पदक अर्जित कर गुरुकुल की कीर्ति को विश्व स्तर पर उज्ज्वल किया है, साथ ही वैदिक संस्कृति की महानता को और अधिक प्रकाशित किया है।

क्योशी तीर्थंकर नंदी सेंसेई ने दृढ़ता से इस बात पर बल दिया कि भारत के प्रत्येक विद्यालय और गुरुकुल में आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट्स को अनिवार्य रूप से लागू करना चाहिए। उन्होंने इसराइल का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि वहां प्रत्येक नागरिक के लिए मार्शल आर्ट्स और सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य है, जो उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाता है।
उन्होंने आह्वान किया कि भारत में भी प्रत्येक नागरिक को आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट्स अवश्य सीखना चाहिए, ताकि शारीरिक और मानसिक दृढ़ता का एक सशक्त समाज निर्मित हो। यह अभूतपूर्व उपलब्धि न केवल छात्रों की लगन, समर्पण और उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि श्री श्री वैदिक गुरुकुल की समग्र शिक्षा पद्धति की महानता को भी रेखांकित करती है।

यह पद्धति आध्यात्मिक ज्ञान, नैतिक मूल्यों, शारीरिक सशक्तिकरण और जीवन कौशलों को समन्वित रूप से विकसित करती है। परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के दूरदर्शी नेतृत्व में यह उपलब्धि वैदिक गुरुकुल के समग्र विकास के संकल्प को साकार करती है और भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायी मील का पत्थर स्थापित करती है।