गुरुवार, 24 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. दिवस विशेष
  3. आज का दिन
  4. World Banjara Day 2025
Written By WD Feature Desk

विश्व बंजारा दिवस पर जानिए भारत के बंजारों के बारे में 5 रोचक बातें

विश्व बंजारा दिवस पर जानिए भारत के बंजारों के बारे में 5 रोचक बातें - World Banjara Day 2025
Banjara heritage in India: हर साल 08 अप्रैल को विश्व बंजारा दिवस मनाया जाता है। यह दिन बंजारा समुदाय की संस्कृति, इतिहास और उनके अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। विश्व बंजारा दिवस एक विशेष अवसर है जो बंजारा समुदाय की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बंजारा समुदाय के इतिहास, कला, संगीत, परिधान और उनके समाज में योगदान को उजागर किया जाता है।
 
आपको बता दें कि समय के साथ, कई बंजारा समुदाय अब स्थायी रूप से बस गए हैं और उन्होंने कृषि तथा अन्य व्यवसायों को अपना लिया है, लेकिन वे आज भी अपनी अनूठी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को संजोए हुए हैं। विश्व बंजारा दिवस उनकी संस्कृति को सम्मानित करने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
 
इस अवसर पर भारत के बंजारों के बारे में 5 रोचक बातें:
 
1. घुमंतू विरासत: बंजारा समुदाय ऐतिहासिक रूप से घुमंतू रहा है, जो व्यापार और पशुपालन जैसे व्यवसायों से जुड़ा था। वे अपने 'टांडा' नामक अस्थायी बस्तियों में एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा करते थे। उनकी इस घुमंतू जीवनशैली ने उन्हें विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों से जोड़ा।
 
2. सांस्कृतिक परंपरा: बंजारों की एक विशिष्ट और रंगीन संस्कृति है। उनकी वेशभूषा, विशेषकर महिलाओं की, जीवंत रंगों, कढ़ाई, दर्पण के काम और भारी आभूषणों से भरी होती है। उनके लोकगीत और नृत्य उनकी सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो उनके जीवन के अनुभवों और इतिहास को दर्शाते हैं। 'लम्बाडी' उनका एक प्रसिद्ध लोकनृत्य है।
 
3. भाषा: बंजारा समुदाय की अपनी भाषा है, जिसे 'गोर बोली' या 'लम्बाडी' कहा जाता है। यह इंडो-आर्यन भाषा समूह से संबंधित है और इसकी कोई अपनी लिपि नहीं है। इसलिए, बंजारे जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां की स्थानीय भाषा से भी प्रभावित होते हैं।
 
4. ऐतिहासिक भूमिका: ऐतिहासिक रूप से, बंजारों ने भारत के आंतरिक क्षेत्रों में व्यापार और वस्तुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अनाज, नमक और अन्य आवश्यक वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे और उन्होंने विभिन्न रियासतों और सेनाओं को भी अपनी सेवाएं प्रदान कीं।
 
5. विभिन्न नामों से जाने जाते हैं: बंजारा समुदाय को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि गोर, लमानी, लम्बाडी, गौरिया, नायक और अन्य। उनकी उप-जातियां भी हैं, जैसे कि राठौड़, पंवार, चौहान, जाधव, मूला और वडत्या। इसमें अधिकतर चंद्रवंशी या सूर्यवंशी हैं तथा कालथिया, सपावट, लादड़िया, कैडुत, मूड़, कुर्रा आदि गोत्र सम्मलित है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: 10 फूड्स और ड्रिंक्स जो देंगे आपको ब्राइट, स्ट्रॉन्ग और हेल्दी स्माइल, जानिए इनके चौंकाने वाले फायदे
ये भी पढ़ें
अंबेडकर जयंती 2025: समाज सुधारक डॉ. भीमराव के जीवन की प्रेरक बातें