• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. दिवस विशेष
  3. जयंती
  4. Chhatrapati Sambhaji Maharaj Birth Anniversary
Written By WD Feature Desk

छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती, पढ़ें इस महान योद्धा के बारे में

छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती, पढ़ें इस महान योद्धा के बारे में - Chhatrapati Sambhaji Maharaj Birth Anniversary
Inspirational story of Sambhaji Maharaj: आज, 14 मई 2025 को छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती है। वे मराठा साम्राज्य के एक महान योद्धा और छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले में हुआ था।

छत्रपति संभाजी महाराज अपनी वीरता, बुद्धिमत्ता और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। संभाजी महाराज का जीवन साहस, त्याग और धर्मनिष्ठा का प्रतीक है। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करना और उनके जीवन से प्रेरणा लेना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है।ALSO READ: नारद मुनि के बारे में 5 रोचक बातें
 
छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें: 
 
• बचपन और शिक्षा: संभाजी महाराज को बचपन से ही युद्धकला और राजनीति की गहरी समझ थी। उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था, जिनमें संस्कृत, मराठी, फारसी और हिंदी प्रमुख हैं। वे एक विद्वान और लेखक भी थे। उन्होंने 'बुद्धभूषणम्' नामक संस्कृत ग्रंथ की रचना की थी।
 
• पराक्रम और युद्ध कौशल: संभाजी महाराज एक अद्वितीय योद्धा थे। उन्होंने अपने छोटे से शासनकाल में लगभग 120 युद्ध लड़े और उनमें से एक भी नहीं हारे। उनकी वीरता और युद्ध कौशल के कारण उन्हें 'छावा' (शेर का बच्चा) कहा जाता था। उन्होंने मुगल साम्राज्य, पुर्तगालियों और अन्य शत्रुओं के खिलाफ सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी। 

राजनीतिक दूरदर्शिता: संभाजी महाराज एक कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने अपने पिता शिवाजी महाराज की नीतियों को आगे बढ़ाया और मराठा साम्राज्य को सुदृढ़ करने का प्रयास किया। उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब के विद्रोही पुत्र अकबर को शरण दी, जिससे औरंगजेब उनसे और भी अधिक शत्रुता रखने लगा।
 
• धर्म के प्रति निष्ठा: संभाजी महाराज धर्म के प्रति निष्ठावान थे। उन्होंने हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
 
• बलिदान: औरंगजेब ने जब उन्हें बंदी बनाया, तब इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डाला गया। लेकिन संभाजी ने धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया और भीषण यातनाएं सहकर 11 मार्च 1689 को वीरगति को प्राप्त हुए। उनका बलिदान धर्मनिष्ठा और आत्मगौरव का प्रतीक है। उनका बलिदान मराठा साम्राज्य के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन उनकी वीरता और बलिदान की कहानी आज भी लोगों को प्रेरित करती है। 
 
साहस, त्याग और धर्मनिष्ठा के प्रतीक रहे छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करना और उनके जीवन से प्रेरणा लेना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है।ALSO READ: राम भक्त केवट के बारे में 5 रोचक बातें

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
ये भी पढ़ें
भारत में क्यों खत्म होते जा रहे हैं संयुक्त परिवार?