मलमास खत्म, 13 अप्रैल से प्रारंभ हुए मांगलिक कार्य
end of Malmas: हिन्दू परम्परा में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। हमारे सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है। वहीं कुछ अवधि ऐसी भी होती है जब शुभकार्य के मुहूर्त का निषेध होता है। इस अवधि में सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
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ऐसी ही एक अवधि है- 'मलमास' जिसे 'खरमास' भी कहा जाता है। जब सूर्य गोचरवश धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इसे क्रमश: धनु संक्रांति व मीन संक्रांति कहा जाता है। सूर्य किसी भी राशि में लगभग 1 माह तक रहते हैं। सूर्य के धनु राशि व मीन राशि में स्थित होने की अवधि को ही 'मलमास' या 'खरमास' कहा जाता है।
'मलमास' में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत-उद्यापन आदि वर्जित रहते हैं। दिनांक 13 अप्रैल 2025, वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि, दिन रविवार से सूर्य के गोचरवश मेष राशि में प्रवेश करते ही विगत एक मास से जारी 'मलमास' समाप्त हो गया है एवं शुभकार्यों सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रतउद्यापन आदि का प्रारंभ ह गया है।
13 अप्रैल को खरमास (मलमास) के समाप्त होते विवाह आदि समस्त शुभ कार्यों का प्रारंभ होगा किंतु यह केवल 11 जून 2025 तक ही जारी रहेगा, क्योंकि 12 जून 2025 आषाढ़ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को गुरु का तारा अस्त होगा जो दिनांक 05 जुलाई 2025, आषाढ़ शुक्ल दशमी, दिन शनिवार को उदित होगा।
06 जुलाई को होगा देवशयन :
हमारे सनातन धर्म में देवशयन को अति-महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे चातुर्मास भी कहा जाता है। देवशयन की अवधि में विवाह विशेष रूप से वर्जित रहता है। गुरु तारे के उदित होते ही आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवशयनी एकादशी), दिनांक 06 जुलाई 2025 दिन रविवार को देवशयन हो जाएगा।
अत: उपर्युक्त 12 जून 2025 को गुरु के अस्त होते ही लगभग पांच माह के लिए शुभ एवं मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा जो देवउठनी एकादशी तक जारी रहेगा।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र