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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 5 मई 2025 (14:28 IST)

इन तीन चाबियों से खुलते हैं बद्रीनाथ धाम के कपाट, जानिए मंदिर से जुड़ीं रहस्यमयी बातें

इन तीन चाबियों से खुलते हैं बद्रीनाथ धाम के कपाट, जानिए मंदिर से जुड़ीं रहस्यमयी बातें - Badrinath temple history
Badrinath temple history: उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में विराजमान, भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम, भारत के चार धामों में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्थल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर के कपाट खोलने की एक विशेष प्रक्रिया है, जिसमें तीन चाबियों का इस्तेमाल होता है? यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे कई रहस्य छिपे हुए हैं। आइए, बद्रीनाथ धाम और इससे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातों के बारे में जानते हैं:

तीन चाबियों का रहस्य:
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन होता है। वसंत पंचमी के दिन, टिहरी के महाराजा के दरबार में विद्वानों द्वारा पंचांग गणना के बाद कपाट खुलने की तिथि और समय निश्चित किया जाता है। इसके बाद, तीन अलग-अलग स्थानों से तीन चाबियां लाई जाती हैं:
  • पहली चाबी: पहली चाबी टिहरी राजपरिवार के प्रतिनिधि के पास होती है, जो बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से ताला खोलता है।
  • दूसरी चाबी: यह चाबी हक-हकूकधारी बामणी गांव के भंडारी थोक के पास होती है।
  • तीसरी चाबी: यह चाबी बामणी गांव के मेहता थोक के पास होती है।
इन तीनों चाबियों के मिलने के बाद ही मंदिर के कपाट विधिवत रूप से खोले जाते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसका निर्वहन आज भी उसी श्रद्धा और निष्ठा के साथ किया जाता है। इन चाबियों का रहस्य और इनका अलग-अलग स्थानों पर होना, मंदिर की व्यवस्था और परंपराओं की जटिलता को दर्शाता है।


बद्रीनाथ धाम से जुड़ी रहस्यमयी बातें:
Badrinath Dham

•          अखंड ज्योति: मंदिर के गर्भगृह में एक अखंड ज्योति जलती रहती है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह सदियों से प्रज्वलित है। यह ज्योति किस स्रोत से जल रही है, यह आज भी एक रहस्य है। छः महीने तक बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद रहने के बाद जब कपाट खोले जाते हैं तो आश्चर्यजनक रूप से ये ज्योति जलती रहती है।  
•          तप्त कुंड: मंदिर के पास स्थित तप्त कुंड एक गर्म पानी का कुंड है, जिसमें स्नान करना पवित्र माना जाता है। इतनी ऊंचाई पर गर्म पानी का कुंड होना आश्चर्यजनक है और इसके औषधीय गुणों में लोगों की गहरी आस्था है।
•          ब्रह्म कपाल: मंदिर के पास ब्रह्म कपाल नामक एक समतल शिला है, जहां पितरों का श्राद्ध तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस स्थान का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है।
•          व्यास गुफा और गणेश गुफा: बद्रीनाथ के पास ही व्यास गुफा और गणेश गुफा स्थित हैं। मान्यता है कि यहीं पर महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी और भगवान गणेश ने उसे लिपिबद्ध किया था। इन गुफाओं का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व अद्भुत है।
•          शीतकाल में मंदिर का बंद होना: हर साल सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान, भगवान बद्रीनाथ की चल विग्रह मूर्ति को जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में स्थापित किया जाता है, जहां उनकी पूजा-अर्चना होती है। यह प्रक्रिया भी अपने आप में एक रहस्य है कि इतनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मंदिर सुरक्षित रहता है।

बद्रीनाथ धाम न केवल एक पवित्र तीर्थस्थल है, बल्कि यह रहस्यों और अद्भुत कहानियों का खजाना भी है। तीन चाबियों से कपाट खुलने की परंपरा हो या मंदिर से जुड़ी अन्य रहस्यमयी बातें, यह सब मिलकर इस धाम की महिमा को और भी बढ़ा देते हैं। यदि आप प्रकृति और अध्यात्म के संगम को महसूस करना चाहते हैं, तो बद्रीनाथ की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव साबित हो सकती है।

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