प्री-मॉनसून और मॉनसून में क्या होता है अंतर, आसान भाषा में समझिए
difference between monsoon and pre monsoon: गर्मी की तपिश से झुलसते देश में अब मॉनसून की फुहारों की आहट सुनाई देने लगी है। धरती के लिए जीवन का संदेश लेकर आने वाला बारिश का यह मौसम आखिरकार करीब है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मौसम विभाग कैसे तय करता है कि मॉनसून आ गया है? प्री-मॉनसून की बौछारें और असली मॉनसून की बारिश में क्या अंतर होता है? आइए, इस रहस्य से पर्दा उठाते हैं।
कब बजती है मॉनसून की घंटी:
मॉनसून के आगमन की घोषणा यूं ही नहीं हो जाती। इसके लिए मौसम वैज्ञानिक दो महत्वपूर्ण मापदंडों पर बारीकी से नजर रखते हैं। जब ये दोनों स्थितियां एक साथ घटित होती हैं, तभी आधिकारिक तौर पर मॉनसून की दस्तक मानी जाती है:
1. पछुआ हवाओं की रफ़्तार: हवा की दिशा और गति मॉनसून के आगमन का एक महत्वपूर्ण संकेत है। यदि पछुआ हवाएं लगातार 4-5 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से बह रही हों, तो यह मॉनसून के करीब आने का इशारा है।
2. बारिश का व्यापक प्रसार: सिर्फ इक्का-दुक्का स्थानों पर हल्की बारिश मॉनसून की पहचान नहीं है। असली मॉनसून तब माना जाता है जब देश के ज्यादातर इलाकों में व्यापक रूप से बारिश दर्ज की जाए। मौसम विभाग के लगभग 15 निगरानी स्टेशनों में से कम से कम 60% स्टेशनों पर लगातार दो दिनों तक अच्छी बारिश होनी चाहिए। यह बारिश सिर्फ क्षणिक बौछार या आंधी नहीं होनी चाहिए, बल्कि एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए।
क्या होता है प्री-मॉनसून
मॉनसून से पहले आने वाली बारिश, जिसे प्री-मॉनसून कहा जाता है, गर्मी से राहत तो दिलाती है, लेकिन यह असली मॉनसून से कई मायनों में अलग होती है। प्री-मॉनसून की बारिश स्थानीय कारकों, जैसे अत्यधिक तापमान के कारण ऊपर उठती हुई हवा और नमी के मिलने से बनती है। यह अक्सर गरज और बिजली के साथ आती है और कुछ देर बरसकर शांत हो जाती है।
बादलों में भी होता है अंतर
मॉनसून और प्री-मॉनसून के बादलों में भी फर्क होता है। मॉनसून के बादल दूर-दूर से, समुद्रों से नमी सोखकर आते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान तक लंबी दूरी तय करते हैं। यही कारण है कि इन बादलों में नमी की मात्रा बहुत अधिक होती है और इनसे होने वाली बारिश भी काफी तेज और लंबे समय तक चलने वाली होती है। मानसूनी बादलों का स्वरूप भी प्री-मॉनसून के बादलों से भिन्न होता है; ये अधिक घने और फैले हुए दिखाई देते हैं, जो पूरे आकाश को ढक लेते हैं। वहीं प्री-मॉनसून के बादल अक्सर ऊपर की ओर बढ़ते हुए दिखाई देते हैं और इनकी अवधि सीमित होती है।
भारत में कब आता है मॉनसून
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान लगाया है कि इस साल मॉनसून 27 मई तक केरल पहुच जाएगा, जो समय से पहले है। आम तौर पर देश में मॉनसून 1 जून तक आता है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की गतिविधियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं। इससे निश्चित रूप से किसानों को फायदा होगा और गर्मी में भी राहत मिलेगी।