साहिबा खान
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला उस वक्त हुआ जब अमेरिका के उपरष्ट्रपति अपने परिवार के साथ भारत में ही मौजूद थे। इससे पहले भी जब अमेरिका से कोई बड़ा नेता भारत दौरे पर आय, तब भी दो बार पर्यटकों पर कश्मीर में हमला हो चुका है। क्या यह सिर्फ एक इत्तेफाक है या एक सोची समझी रणनीति?
अमेरिकी उपराष्ट्रपति की मौजूदगी में हमला : 26/11 के बाद इस हमले को भारतीय नागरिकों पर सबसे बड़े और क्रूर हमले के रूप में देखा जा रहा है। देश के अंदर तो इस हमले का अपना महत्व है ही, लेकिन जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत का दौरा कर रहे हैं, ऐसे समय में यह खबर बाहरी दुनिया में एक अलग हलचल मचा रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आए दिन संयुक्त राष्ट्र की सभाओं से लेकर पाकिस्तान की राजनीति तक, कश्मीर पर विवाद होता ही रहता है। ऐसे में एक नामी गिरामी अमेरिकी नेता के भारत में होने के बीच ऐसी घटना कश्मीर की एक अलग ही सूरत पेश करती है – वो सूरत जो अंतरराष्ट्रीय सभाओं में भारत की छवि के लिए खतरनाक है।
पहले भी हुए ऐसे हमले : पहलगाम हमला छटीसिंहपोरा हमले की याद दिलाता है। 20 मार्च 2000 को अनंतनाग जिले के छटीसिंहपोरा गांव में 36 सिखों की हत्या की गई। हालांकि आज तक इस बात पर विवाद बना हुआ है कि ये हत्याएं किसने कीं। यह हमला तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की 21 से 25 मार्च तक की भारत की राजकीय यात्रा से ठीक पहले हुआ।
उस समय के भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने क्लिंटन के साथ पाकिस्तान की संलिप्तता का मुद्दा उठाया था। उस समय क्लिंटन जयपुर और आगरा के दौरे पर थे, जबकि अमेरिकी विदेश मंत्री मैडलिन अलब्राइट और उप विदेश मंत्री स्ट्रोब टैलबोट भारतीय अधिकारियों से बातचीत करने के लिए दिल्ली में ही थे।
इसके ठीक दो साल बाद जब दक्षिण एशियाई मामलों के लिए अमेरिकी उप विदेश मंत्री क्रिस्टीना बी रोका भारत की यात्रा पर थीं, तब 14 मई, 2002 को जम्मू-कश्मीर के कालूचक के पास एक आतंकवादी हमला हुआ। 3 आतंकवादियों ने मनाली से जम्मू जा रही हिमाचल रोडवेज की बस पर हमला किया और 7 लोगों की हत्या कर दी।
इसके बाद उन्होंने सेना के फैमिली क्वार्टर में घुसकर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसमें 10 बच्चों, 8 महिलाओं और 5 जवानों सहित 23 लोग मारे गए। मारे गए बच्चों की उम्र 4 से 10 साल के बीच थी। हमले में 34 लोग घायल हुए।
पहलगाम हमले से पहले माहौल : पहलगाम हमला पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के उस बयान के एक सप्ताह बाद हुआ है जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर इस्लामाबाद की "जुग्युलर वेन” है। जुग्युलर वेन शरीर की वह अहम नस है जो सिर से होकर सीने तक जाती है। इस बयान पर विदेश मंत्रालय (एमईए) ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
पिछले हफ्ते इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन को संबधित करते हुए जनरल मुनीर ने कहा था, "हमारा इरादा बिल्कुल सीधा है, यह (कश्मीर) हमारी जुग्युलर वेन है और हमेशा रहेगी, हम इसे कभी नहीं भूलेंगे।” उन्होंने आगे कहा, "हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके बहादुरी से भरे इस संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे।”
भारत और पाकिस्तान में धार्मिक अंतरों की बात करते हुए मुनीर ने कहा, "हमारे धर्म अलग हैं, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यही पर टू नेशन थ्योरी की नींव रखी गई थी। हम दो राष्ट्र हैं, हम एक राष्ट्र नहीं हैं।”
मुनीर की टिप्पणी पर सवालों का जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "कोई विदेशी चीज कैसे गले में अटक सकती है? यह भारत का केंद्र शासित प्रदेश, यानी यूनियन टेरिटरी, है। पाकिस्तान के साथ इसका एकमात्र संबंध यह है कि उसने इसके कुछ इलाकों पर अवैध रूप से कब्जा जमाया है जिसे वहां से हटाना है।”